मोडी दस्तऐवज लिप्यंतरासाठी कसे पाठवावेत?

१. सर्वप्रथम आपल्या दस्तऐवजाची PDF तयार करायची आहे. त्यासाठी झेरॉक्स अथवा सायबर कॅफेवाल्यांकडे असतात तश्या स्कॅनर्सवर आपले दस्तऐवज 300dpi वर स्कॅन करुन घ्यावेत व सर्व फोटोंची मिळून एक PDF तयार करुन घ्यावी.

२. ही PDF, WhatsApp क्रमांक 9920028859 वर पाठवावी किंवा kanchankarai@gmail.com येथे इमेल करावी.

३. PDF पाठवताना आपला परिचय लिहावा. जसे: आपले नाव, फोन नंबर, पत्ता इ.

फोनवर संपर्क साधायचा असेल तर 9920028859 ह्या क्रमांकावर सकाळी ११ ते सायं. ६ ह्या वेळेमध्ये सोमवार ते गुरूवार ह्या दिवसांत फोन करुन सविस्तर माहिती द्यावी.

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प्राचीन और आधुनिक अक्षरों के बीच का भेद २

’राजीखुषीने’ अर्थात अपनी इच्छा से ।

मराठीत येथे वाचा.

शब्द एकही है लेकिन हर अभिलेखमें अलग-अलग लेखनिकका हस्ताक्षर, लेखनकी गती और विभिन्न लेखन साधनोंके कारण इस शब्दके अक्षरोंमें भी विविधता दिखाई दे रही है ।

इन तीन बातों के अतिरिक्त और दो बातें है जो इस विविधता का कारण है । वो है शब्दोंपर दिखने वाला बोलीभाषा का प्रभाव। 'श’ अक्षर का उच्चारण ’स’ की तरह तथा इसके विरूद्ध उच्चार होना बिलकूल सहज है । दूसरी बात यह है कि लेखन के लिए मूल शब्द में किए गए सुविधाजजनक परिवर्तन । उदाहरण के लिए पेशवेकालीन पत्रोंमें ’बल्लाळ’ उपनाम को ’बलाल’ की तरह लिखा हुवा पढने में आता है । इसका अर्थ यह नहीं कि उस समय लेखनिकको योग्य शब्द का ज्ञान नही था । पेशवाओंकी राजमुद्राओंमें देवनागरीमें लिखा गया उपनाम ’बल्लाळ’ही लिखा जाता था । किंतू मोडी में लेखन करते समय ’बलाल’ शब्द लिखने में जितनी सहजता थी उतनी सहजता ’बल्लाळ’ शब्द लिखने में नही थी ।

ठिक उसी तरह नीचे दिए चित्रमें ’राजीखुषीने’ यह शब्द राजीखुसीने, राजीखुषीने, राजीखुशीने इस तरह विभिन्न प्रकार से लिखा गया है ।

लेकिन इस शब्द में सबसे ज्यादा रूचीपूर्ण अक्षर है ’खु’ । इस अक्षरकी विविधता देखिए । मोडी अक्षर ’उ’ के मध्यभाग के निकट एक बिंदू देने से या मध्यभाग से दांई ओर एक छोटीसी आडी रेघा खिंचने से ’खु’ अक्षर बनता है यह मोडी अभ्यासक जानते है । ’खु’ अक्षर लिखनेकी एक और शैली है जो आंग्लकालीन अभिलेखोंमें प्राय: दिखाई नही देती ।

अब उपरके चित्र में. क्र. ४ पर लिखा हुआ ’राजीखुषीने’ शब्द देखिए । अगर पूर्ण शब्द लिखा न होता तो वह अक्षर ’खु’ होनेकी संभावना पर भी विचार नही किया जा सकता ।

मोडी ’सा’ की तरह आकार बनाकर उकारका फेर शिरोरेखा को पार कर ऱ्हस्व इकार की तरह फिरसे अक्षरकी ओर नीचे झुका हुवा है । इस प्रकार का ’खु’ हडबडी में किए लेखन में अथवा लपेटीदार लेखन करते समय हाथ को मिलने वाली गती और उंगलियां आवश्यकतानुसार न मुडने के कारण लिखा जाता है । केवल और केवल संदर्भसेही ऐसे अक्षरों का वाचन हो सकता है ।