जालंधर पुलिस में भर्ती करवाने के नाम पर 2 पुलिसकर्मियों ने युवकों से लाखों रुपए की ठगी की है। युवकों को यकीन दिलाने के लिए आरोपियों ने SSP दफ्तर में फर्जी हाजिरी तक लगवा दी। इसके बाद आरोपी उन्हें ड्यूटी के लिए अलग-अलग जगहों पर भेज देते थे।
सैलरी न मिलने पर हुआ पर्दाफाश
इस ठगी का पर्दाफाश हुआ जब युवकों को 3 महीने तक कोई सैलरी नहीं मिली। एक साल तक इस मामले की जांच पड़ताल हुई। जिसके बाद जालंधर कैंट पुलिस ने अमित कुमार और बलविंदर कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। पर अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
पिता को बहलाकर झांसे में लिया
पुलिस को दी शिकायत में पीड़ित चेतन ने बताया कि उनके पिता का वैल्डिंग का काम है। आरोपी मेरे पिता की दुकान पर गए और उन्होंने वहां पर बहला-फुसलाकर अपने जाल में फंसा लिए। आरोपियों ने कहा कि वह पीएपी में दर्जा चार में भर्ती करवा देगा। जिसके लिए एक लाख रुपए लगेंगे।
दोस्तों के साथ मिलकर 9 लाख रुपए दिए
आरोपियों का कहना था कि अगर वह दूसरे युवक को भर्ती करेगा तो वह उससे कम पैसे लेगा और उसे जल्द ही प्रमोट भी कर देगा। इसके बाद जब उसने अपने दोस्तों के साथ पुलिस में भर्ती होने की बात कही तो, उसके दोस्त मनीष कुमार, विक्रम कुमार, सौरव कुमार, सुनील कुमार, नवीन, अभिषेक, मणि और अशोक कुमार ने मिलकर आरोपी को कुल 9 लाख रुपए दिए।
26 हजार रुपए महीना मिलेगी
आरोपी ने बताया कि पुलिस लाइन में आरोपी बलविंदर कुमार से पहली बार उनका मुलाकात हुई। बलविंदर सिंह ने अपने दो अन्य साथियों के साथ मुलाकात करवाई। जहां ड्राइविंग टेस्ट करवाया गया। कुछ देर बाद कहा गया कि टेस्ट में पास हो गए हैं। आरोपियों ने उन्हें अगले दिन पुलिस लाइन के बाहर मिलने के लिए कहा था। फिर यहां से फर्जी हाजिरी का सिलसिला शुरू हुआ। पहले तो आरोपियों ने पीएपी के बाहर बुलाकर फर्जी हाज़िरी लगवानी शुरू की। 15 दिन तक ऐसे ही चला।
लगातार 15 दिन हाजिरी लगवाई
हाज़िरी लगवाने के बाद उन्हें घर भेज दिया जाता था। 15 दिन बाद ऐसे ही एसएसपी ऑफिस में 15 दिन तक हाज़िरी लगवाई गई। धोखाधड़ी का तब पता चला जब दो महीने बाद भी वेतन नहीं आया। जब उन्होंने आरोपियों से बात की तो वे टाल-मटोल करने लगे। जिसके बाद जब उन्होंने खुद पता किया तो उन्हें पता चला कि वे धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं
इसके बाद में उन्होंने इसकी शिकायत उच्च पुलिस अधिकारियों से की। जहां से शिकायत कैंट थाने भेज दी गई और करीब तीन साल की जांच के बाद पुलिस ने अमित कुमार और बलविंदर कुमार के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।