नई दिल्ली
पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों और बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पुणे निवासी एक व्यक्ति ने साइकल-बस बनाई है। इस बस में एक साथ आठ लोग सवारी कर सकते हैं। इसे चलाने के लिए सभी को पैडल मारना होगा। इस खास बस को बनाने वाले 51 वर्षीय मिलिंद कुलकर्णी ने फिजिक्स में बीएससी किया है। वह सालों से ईको-फ्रेंडली प्रॉडक्ट्स पर काम कर रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि उनके दिमाग में यह साइकल-बस बनाने का विचार तभी से है, जब वह पांचवीं क्लास में पढ़ते थे।
दो कंपनियों के मालिक कुलकर्णी ने हमारी सहयोगी वेबसाइट पुणे मिरर को बताया, 'मेरा ध्यान ईको फ्रेंडली और किफायती प्रॉडक्स बनाने पर रहता है।' उन्होंने कहा, 'यह वीइकल स्कूल-कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स के लिए काफी बेहतर रहेगा, जो एनर्जी से भरपूर होते हैं। कुछ साइकल प्रेमियों ने भी इस साइकल-बस को ट्रायल बेसिस पर चलाने के लिए मुझसे संपर्क किया है। इसे ऑर्डर के हिसाब से कस्टमाइज्ड भी किया जा सकता है। मुझे इसे बनाने में करीब एक महीने का समय लगा है।'
इस खास बस की कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये है। कुलकर्णी का मानना है कि यह बस पर्यावरण के प्रति गंभीर लोगों को आकर्षित करेगी, जो फ्यूल और बैटरी की कीमत में कटौती चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'यह बस ग्रुप ट्रैवल के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती है। जरूरत पड़ने पर इसकी छत को कवर भी किया जा सकता है।'
विकसित देशों में आम बात
शांतनु दुकाले जैसे कुछ साइकलिस्ट का कहना है कि इस तरह की साइकल-बसें विकसित देशों में आम बात हैं। इसकी कीमत भी किफायती है। पार्किंग के लिए ज्यादा जगह ही इसके साथ एक मात्र समस्या है।
लाइसेंस की जरूरत नहींइस खास बस के लिए किसी तरह के लाइसेंस की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। पुणे के रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर बाबासाहेब अजरी ने कहा कि चूंकि यह वीइकल किसी भी तरह के इंजन या बैटरी से नहीं चलता है, इसलिए इसे किसी लाइसेंज की जरूरत नहीं है।
पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों और बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पुणे निवासी एक व्यक्ति ने साइकल-बस बनाई है। इस बस में एक साथ आठ लोग सवारी कर सकते हैं। इसे चलाने के लिए सभी को पैडल मारना होगा। इस खास बस को बनाने वाले 51 वर्षीय मिलिंद कुलकर्णी ने फिजिक्स में बीएससी किया है। वह सालों से ईको-फ्रेंडली प्रॉडक्ट्स पर काम कर रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि उनके दिमाग में यह साइकल-बस बनाने का विचार तभी से है, जब वह पांचवीं क्लास में पढ़ते थे।
दो कंपनियों के मालिक कुलकर्णी ने हमारी सहयोगी वेबसाइट पुणे मिरर को बताया, 'मेरा ध्यान ईको फ्रेंडली और किफायती प्रॉडक्स बनाने पर रहता है।' उन्होंने कहा, 'यह वीइकल स्कूल-कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स के लिए काफी बेहतर रहेगा, जो एनर्जी से भरपूर होते हैं। कुछ साइकल प्रेमियों ने भी इस साइकल-बस को ट्रायल बेसिस पर चलाने के लिए मुझसे संपर्क किया है। इसे ऑर्डर के हिसाब से कस्टमाइज्ड भी किया जा सकता है। मुझे इसे बनाने में करीब एक महीने का समय लगा है।'
इस खास बस की कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये है। कुलकर्णी का मानना है कि यह बस पर्यावरण के प्रति गंभीर लोगों को आकर्षित करेगी, जो फ्यूल और बैटरी की कीमत में कटौती चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'यह बस ग्रुप ट्रैवल के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती है। जरूरत पड़ने पर इसकी छत को कवर भी किया जा सकता है।'
विकसित देशों में आम बात
शांतनु दुकाले जैसे कुछ साइकलिस्ट का कहना है कि इस तरह की साइकल-बसें विकसित देशों में आम बात हैं। इसकी कीमत भी किफायती है। पार्किंग के लिए ज्यादा जगह ही इसके साथ एक मात्र समस्या है।
लाइसेंस की जरूरत नहींइस खास बस के लिए किसी तरह के लाइसेंस की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। पुणे के रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर बाबासाहेब अजरी ने कहा कि चूंकि यह वीइकल किसी भी तरह के इंजन या बैटरी से नहीं चलता है, इसलिए इसे किसी लाइसेंज की जरूरत नहीं है।