ZEE को अच्छे दिनों का इंतजार, Sony के बाद अब Disney Star से भी टूटा रिश्ता!

सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया ने हाल ही में ZEEL के साथ 10 अरब डॉलर के विलय समझौते को समाप्त करने की घोषणा की थी.

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Saturday, 27 January, 2024
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ZEE एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के लिए समय अच्छा नहीं चल रहा है. सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के साथ मर्जर डील खत्म होने के बाद अब ZEE और डिज्नी स्टार का रिश्ता भी टूट गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जी एंटरटेनमेंट ने क्रिकेट मैचों के TV प्रसारण अधिकार के लिए डिज्नी स्टार के साथ 1.4 अरब डॉलर के लाइसेंसिंग समझौते खुद को अलग कर लिया है. बताया जा रहा है कि ZEEL लगभग 20 करोड़ डॉलर की पहली किश्त नहीं दे पाई है. लिहाजा अब कंपनी इस मामले में आगे नहीं बढ़ेगी. दरअसल, डिज्नी स्टार को भुगतान की जाने वाली किश्त Sony Group और ZEE के मर्जर के साथ होने वाले निवेश का ही हिस्सा थी.

इतना करना था निवेश 
सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया, जिसे अब कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट कहा जाता है, ने सोमवार को ZEEL के साथ 10 अरब डॉलर के विलय समझौते को समाप्त करने की घोषणा की थी. इतना ही नहीं, सोनी ने शर्तों के उल्लंघन के लिए 9 करोड़ डॉलर की मांग भी है. विलय समझौते के मुताबिक, जापान की कंपनी कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट को विलय की गई इकाई में 1.56 अरब डॉलर का निवेश करना था. इस निवेश के साथ मर्जर के बाद अस्तित्व में आने वाली कंपनी में उसकी बहुसंख्यक हिस्सेदारी हो जाती. लेकिन लंबे समय से चले आ रहे उतार-चढ़ाव के बाद अब आखिर ये समझौता टूट गया है.

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2 साल पहले हुई थी डील
ZEEL का कहना है कि उसने डील को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया, लेकिन कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट ने समझौते को रद्द कर दिया. अब वह Sony के फैसले को अदालत में चुनौती देगी. ZEE और Sony के बीच करीब 2 साल पहले मर्जर के लिए डील हुई थी और इससे देश की सबसे बड़ी ब्रॉडकास्टिंग कंपनी बननी थी. हालांकि, अब ऐसा संभव नहीं हो पाएगा. Zee Entertainment के प्रमोटर सुभाष चंद्रा को शायद पहले ही यह इल्म हो गया था कि ZEE-Sony मर्जर परवान नहीं चढ़ पाएगा. इसलिए उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था. सुभाष चंद्रा ने अपने पत्र में बाजार नियामक सेबी (SEBI) की भूमिका पर सवाल उठाते हुए वित्त मंत्री से अनुरोध किया था कि ZEE एंटरटेनमेंट के माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के हितों की रक्षा के लिए कुछ कदम उठाएं.

टाइमिंग पर उठाया सवाल
इस डील को तमाम तरह की अड़चनें आ रही थीं. बाजार नियामक SEBI की कार्रवाई से डील पर संशय के बादल मंडराने लगे थे. इसी के मद्देनजर सुभाष चंद्रा ने वित्त मंत्री से गुहार लगाईं थी. उन्होंने अपने पत्र में लिखा था - ZEE और सोनी के विलय को रोकने की लगातार कोशिशें हो रही हैं. हमें बाजार नियामक सेबी के जांच की कोई चिंता नहीं है, लेकिन नए नोटिस की टाइमिंग को लेकर जरूर है. हम किसी भी संदेह को लेकर सेबी की जांच रोकने के लिए नहीं कह रहे हैं, लेकिन नए नोटिस में ऐसा कोई पॉइंट हीं नहीं है जो पहले से ही कंपनी के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है. जो भी पॉइंट हैं, उसकी सारी डिटेल्स पहले ही सेबी को दी जा चुकी है.


Godrej समूह की कई कंपनियों को संभाल रही तान्‍या डुबाश के बारे में कितना जानते हैं आप? 

 हॉवर्ड से पढ़ाई करने वाली तान्‍या को गोदरेज की रिब्रान्डिंग करने का श्रेय जाता है. तान्‍या को कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं. 

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Saturday, 25 May, 2024
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हाल ही में गोदरेज परिवार पैदा हुई बंटवारे की आच के बाद अब सारे कारोबार का बंटवारा हो चुका है. गोदरेज परिवार के इस बंटवारे के बाद एक नाम तेजी से उभरकर सामने आया है. ये नाम है तान्‍या डुबाश का. तान्‍या डुबाश का नाम इसलिए उभरकर आया है क्‍योंकि उन्‍हें गोदरेज समूह की कई कंपनियों की कमान मिली है. क्‍या आप जानते हैं कि आखिर तान्‍या कौन हैं जिन पर गोदरेज परिवार के लोगों ने इतना भरोसा जताया है. 

सबसे पहले जानिए बंटवारे में किसे क्‍या मिला? 
सबसे पहले आपको बताते हैं पिछले महीने हुए गोदरेज परिवार के बंटवारे में परिवार के किस आदमी को आखिर किस कंपनी का अधिकार मिला था. शेयर बाजार को दी गई जानकारी के अनुसार, जमशेद गोदरेज, उनकी भतीजी नायरिका गोदरेज और उनके परिवार मिलकर गोदरेज एंटरप्राइजेस ग्रुप का कारोबार संभालेंगे. इसमें नादिरा के पास गोदरेज एंटरप्राइजेस के चेयरपर्सन की जिम्‍मेदारी होगी इसमें गोदरेज इंडस्‍ट्रीज, गोदरेज कंज्‍यूमर प्रोडक्‍ट्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज, गोदरेज एग्रोवेट, और एस्‍टेक लाइफसाइंसेस जैसी कंपनियां शामिल हैं. 

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तान्‍या को मिली है इन कंपनियों की जिम्मेदारी? 
तान्‍या डुबास को गोदरेज परिवार ने एक्‍जीक्‍यूटिव डॉयरेक्‍टर की जिम्‍मेदारी दी है. उन्‍हें बंटवारे के बाद नादिरा गोदरेज की अगुवाई वाले खेमे में गोदरेज इंडस्‍ट्रीज ग्रुप के ब्रैंड मैनेजमेंट को संभालने की जिम्‍मेदारी दी गई है. गोदरेज समूह में गोदरेज इंडस्‍ट्रीज के अलावा गोदरेज कंज्‍यूमर प्रोडक्‍ट और गोदरेज प्रॉपर्टीज जैसी बाजार में लिस्‍टेड कंपनियां भी शामिल हैं. मतलब ये है कि इन सभी कंपनियों कमान तान्‍या को मिली है. 

अब जानिए कौन हैं तान्‍या डुबाश? 
अब आपको बताते हैं कि आखिर गोदरेज परिवार में तान्‍या डुबाश कौन हैं जिन्‍हें इतनी अहम जिम्‍मेदारी मिली है. तान्‍या डुबाश उद्योगपति आदि गोदरेज की सबसे बड़ी बेटी हैं, जो बंटवारे से पहले गोदरेज समूह के चेयरमैन थे. तान्‍या अपने पिता के साथ लंबे समय से अपने पिता के साथ कारोबार को संभाल रही हैं. वो साल 1991 से ही गोदरेज समूह में अहम भूमिका निभा रही है. गोदरेज की रिब्राड्रिंग का श्रेय दिया जाता है. गोदरेज समूह ने 2008 में रिब्रॉन्ड्रिंग के तहत गोदरेज मास्‍टरब्रांड स्‍ट्रैटजी पेश की थी, जिसकी सबसे बड़ी सूत्रधार तान्‍या ही थी. वो हॉवर्ड बिजनेस स्‍कूल से पढाई कर चुकी हैं. उनकी शादी उद्योगपति अरविंद डुबाश के साथ हुई है. 
 


अब भारत के एस्‍ट्रोनॉट को प्रशिक्षण देने जा रहा है NASA, इस मिशन पर रवाना होगा इंडिया

पिछले साल पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के वक्‍त अमेरिका ने कहा था कि वो 2024 तक एक भारतीय को  इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन में भेजेगा. गार्सेटी ने कहा कि हम उसी वायदे को पूरा करने को लेकर काम कर रहे हैं. 

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Saturday, 25 May, 2024
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 अब तक हथियारों से लेकर कई क्षेत्रों में कारोबार कर रहे भारत अमेरिका के बीच नए तरह का समन्‍वय शुरू होने जा रहा है. अमेरिका अब भारतीय एस्‍ट्रोनॉट को विशेष प्रशिक्षण देने जा रहा है. उन्‍होंने बताया कि ये भारत और अमेरिका के बीच किए गए कई वायदों में एक वायदा है. भारत में अमेरिका के दूत एरिक गार्सेटी ने ये बात यूएसआईबीसी की एक मीटिंग के बाद कही.

एरिक गार्सेटी ने कही क्‍या बात? 
एरिक गार्सेटी ने कहा कि हम जल्‍द ही इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र से निसार उपग्रह को प्रक्षेपित करने जा रहे हैं. ये उपग्रह पारिस्थिति तंत्र पृथ्‍वी की सतह, प्राकृतिक खतरों, समुद्र के स्‍तर में बढ़ोतरी और क्रायोस्‍फीयर सहित सभी तरह के संसाधनों की निगरानी करेगा. निसार उपग्रह भारत और अमेरिका के बीच एक संयुक्‍त साझेदारी में बना उपग्रह है. उन्‍होंने ये भी कहा कि शांति के क्षेत्र में हो या अंतरिक्ष के क्षेत्र में दोनों देशों ने मिलकर काम किया है. 

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क्‍या बोले इसरो प्रमुख? 
इसरो प्रमुख सोमनाथ ने इस मौके पर कहा कि मैं दोनों देशों शीर्ष नेतृत्‍व की दूरदर्शी सोच को सलाम करता हूं जिन्‍होंने इस तरह का समझौता किया है. उन्‍होंने कहा कि इस बात की खुशी है कि दोनों देश चंद्रमा को एक स्‍थाई जगह के तौर पर देखते हैं जहां जाकर दोनों लोग स्‍थायी रूप से काम कर सकते हैं. बेंगलुरु में आयोजित हुई इस बैठक में कई प्रमुख अधिकारी मौजूद रहे. इसमें अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी और इसरो के अध्‍यक्ष डॉ. एस सोमनाथ मौजूद रहे. 

इस मिशन पर काम कर रहा है भारत 
पिछले साल अमेरिका की यात्रा पर गए थ तो अमेरिका ने कहा था कि 2024 के आखिरी तक एक भारतीय को इंटरनेशनल स्‍पेस सेंटर तक भेजा जाएगा. उन्‍होंने कहा कि अमेरिका ने उस वायदे को पूरा करने को लेकर काम करना शुरू कर दिया है. एरिक गार्सेटी ने ये बात भारतीय स्‍टार्टअप के लिए अवसरों की शुरूआत जैसे कार्यक्रम को लेकर कही. 
 


सस्ती होने वाली है ये प्रीमियम कार, जल्द ही लगेगा ‘मेड इन इंडिया’ का ठप्पा

अब तक JLR यूके प्लांट में निर्मित किए जा रहे थे और फिर दुनिया भर में निर्यात किए जाते थे. लेकिन कंपनी की योजना इसको भारत में ही बनाने की है.

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Saturday, 25 May, 2024
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टाटा मोटर्स (Tata Motors) के स्वामित्व वाले ब्रिटिश ऑटोमोबाइल ब्रांड जगुआर लैंड रोवर (Jaguar Land Rover) ने पहली बार ब्रिटेन से बाहर निकलने का फैसला किया है. कंपनी की चाहती कार रेंज रोवर (Range Rover) अब भारत में ही बनेगी. अभी तक रेंज रोवर को ब्रिटेन में ही बनाकर पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट किया जाता है. इस वजह से टाटा मोटर्स का मालिकाना हक होने के बावजूद यह कार भारत में महंगी पड़ती है. अब देश में ही प्रोडक्शन शुरू हो जाने से इसके रेट में भारी कमी आ जाएगी. ऐसा बताया जा रहा है कि रेंज रोवर की कीमत लगभग 20 फीसदी कम हो जाएगी.

लोगों का भरोसा होगा मजबूत

टाटा ग्रुप (Tata Group) के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) ने कहा कि देश में ही प्रोडक्शन शुरू होने से जगुआर लैंड रोवर को लेकर लोगों का भरोसा और मजबूत होगा. यह हमारे लिए एक खास मौका है. हमें देश में ही रेंज रोवर सीरीज का प्रोडक्शन शुरू करने को लेकर गर्व महसूस हो रहा है. हमें पूरी उम्मीद है कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो जाने के बाद रेंज रोवर की सेल और बढ़ेगी. आज जेएलआर के पास खूबसूरत, विशिष्ट ब्रांडों के जरिये ब्रांडों का जबर्दस्‍त कलेक्‍शन है. यह अब तक की सबसे प्रतिष्ठित और सर्वश्रेष्ठ एसयूवी है.

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81 फीसदी उछली JLR की सेल 

जगुआर लैंड रोवर इंडिया के एमडी राजन अंबा ने बताया कि यह बड़ा कदम है. जेएलआर पहली बार ब्रिटेन से बाहर कहीं प्रोडक्शन शुरू करने जा रही है. कीमतें कम होने से हमें ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स तक पहुंचने में फायदा होगा. रेंज रोवर सीरीज लगभग 54 सालों से शानदार प्रदर्शन करती रही है. कंपनी के इस फैसले से पता चल रहा है कि भारत का मार्केट कितना तेजी से महंगी कारों को स्वीकार रहा है. पिछले वित्त वर्ष में जेएलआर ने भारत में 4,436 कारें बेचीं हैं. कंपनी की सेल्स में लगभग 81 फीसदी का उछाल आया है.

15 से 90 लाख रुपये तक सस्ते हो जाएंगी कारें 

भारत में रेंज रोवर के मॉडल 68 लाख से शुरू होकर 4.5 करोड़ रुपये तक पड़ते हैं. यदि कीमतों में 20 फीसदी की कमी आती है तो यह मॉडल 15 से 90 लाख रुपये तक सस्ते हो जाएंगे. जगुआर लैंड रोवर के मुताबिक, वह पुणे प्लांट में रेंज रोवर के सभी मॉडल की असेंबली शुरू करेगी. इसके बाद कार की कीमतों में 18 से 22 फीसदी तक कमी आ सकती है. कंपनी ने बताया कि रेंज रोवर स्पोर्ट की डिलिवरी भी इसी साल अगस्त से शुरू हो सकती है.
 


ऑनलाइन सट्टेबाजी में नहीं होगा रियल टाइम डेटा का इस्तेमाल, SEBI ने लिया ये फैसला

सेबी (SEBI) ने स्टॉक एक्सचेंजों, क्लियरिंग सदस्यों, डिपॉजिटरी और स्टॉकब्रोकरों को थर्ड पार्टी के लिए रियल टाइम डाटा शेयर नहीं करने का निर्देश दिया है.

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Saturday, 25 May, 2024
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मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने रियल टाइम डेटा शेयरिंग को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है. इसके माध्यम से सेबी द्वारा ऑनलाइन सट्टेबाजी में रियल टाइम डेटा के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई गई है. गाइडलाइन के तहत सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग मेंबर, डिपॉजिटरी और स्टॉक ब्रोकर को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह थर्ड पार्टी के साथ रियल टाइम डेटा न साझा नहीं करेंगे. तो चलिए जानते हैं नई गाइडलाइन में सेबी ने क्या कहा है?

डेटा शेयरिंग का रखना होगा रिकॉर्ड
गाइडलाइन के अनुसार सेबी मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MII) या मार्केट इंटरमीडियरीज को उन संस्थाओं के साथ स्पष्ट समझौता करना होगा, जिनके साथ वे रियल टाइम डेटा शेयर करना चाहते हैं. इसमें सेबी ने कहा है कि अगर कोई डेटा शेयरिंग होती है तो उसका एग्रीमेंट होगा और रिकॉर्ड रखा जाएगा. एग्रीमेंट में यह भी साफ करना होगा कि डेटा का इस्तेमाल कहां किया जाएगा. 

डेटा के दुरुपयोग पर लगेगी रोक
ब्रोकर व एक्सचेंज बोर्ड रिव्यू करेंगे कि किस काम के लिए डेटा साझा होगा और किस काम के लिए नहीं, इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इसका कोई दुरुपयोग न हो. एमआईआई के बोर्ड को हर वित्त वर्ष में कम से कम एक बार उन एंटिटीज के कामकाज की समीक्षा करनी होगी, जिन्होंने डेटा का इस्तेमाल किया है.

सेबी ने क्यों लिया यह फैसला?
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब रियल टाइम डेटा का ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों पर इस्तेमाल करके सट्टेबाजी, लीग और लेनदेन जैसी गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं. इन खेलों में अमूमन एंट्री फीस लगती है और जीतने पर इनामी राशि मिलती है. यहां पर यूजर्स दांव लगाते हैं कि रियल स्टॉक परफॉर्मेंस से जुड़ा सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला पोर्टफोलियो कौन बना सकता है. ऐसे में यूजर्स का डेटा लीक होने का खतरा रहता है. 

30 दिन बाद प्रभावी होंगे नियम 
स्टॉक एक्सचेंज अलग-अलग मार्केट सेगमेंट्स के लिए स्टॉक ब्रोकर और ग्राहकों को पेड सर्विस के रूप में रियल टाइम डेटा ऑफर करते हैं. लेकिन, अब सेबी ने साफ कर दिया है कि शिक्षा और जागरूकता से जुड़े कार्यक्रमों के लिए मार्केट डेटा को एक दिन बाद शेयर किया जाएगा. ये नियम सर्कुलर जारी होने के 30 दिन बाद प्रभावी होंगे.

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अपनी इस डील को लेकर CCI के दरवाजे पर पहुंची Reliance, बनेगी मनोरंजन की सबसे बड़ी कंपनी

अगर ये डील हो जाती है तो दोनों के वेंचर से बनने वाली कंपनी देश की सबसे बड़ी मनोरंजन कंपनी होगी जिसके पास 100 से ज्‍यादा चैनल और 2 ओटीटी प्‍लेटफॉर्म होंगे. 

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Saturday, 25 May, 2024
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मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्‍ट्रीज ने अपनी कंपनी Viacom 18 और स्‍टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मर्जर को लेकर सीसीआई(भारत के प्रतिस्‍पर्धा आयोग) से अप्रूवल मांगा है. इस डील का मकसद मनोरंजन की दुनिया में काम कर रही कई कंपनियों को साथ लाने की है. स्‍टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का मालिकाना हक वॉल्‍ट डिज्‍नी के पास है. इस डील की कीमत 8.5 बिलियन डॉलर है. इसे भारत की मनोरंजन दुनिया के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. 

CCI को दिया गया मर्जर का आवेदन 
सीसीआई को इस संबंध में दिया गया आवेदन कहता है कि मौजूदा समय में स्‍टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, टीडब्‍ल्‍यूडीसी (द वॉल्‍ट डिज्‍नी कंपनी) की पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली कंपनी है वो इस डील के बाद रिलायंस इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड, वॉयाकाम 18 और टीडब्‍ल्‍यूडीसी की ज्‍वॉइंट वेंचर कंपनी बन जाएगी. रिलायंस की ओर से ये भी कहा गया है कि इस डील से देश में किसी भी इंडस्‍ट्री के लिए प्रतिस्‍पर्धाओं के अवसर को कोई नुकसान नहीं होगा. हालांकि कंपनी ने सीसीआई के असेसमेंट को सुविधाजनक बनाते हुए कई क्षेत्रों की जानकारी दी है जहां हॉरिजोंटल ओवरलैप मौजूद हैं. इनमें ऑडियो लाइसेंसिंग, विजुअल कंटेट राइट, ब्रॉडकास्‍ट टीवी चैनल का डिस्‍ट्रीब्‍यूसन, ऑडियो विजुअल कंटेट का प्रावधान और एडवरटाइजिंग स्‍पेस की भारत में सप्‍लाई जैसे विषय शामिल हैं. 

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किन किन क्षेत्रों में काम करती हैं दोनों कंपनियां
रिलायंस इंडस्‍ट्रीज की वायाकॉम 18 और स्‍टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कई क्षेत्रों में काम करते हैं. इनमें वॉयाकाम 18 टेलीविजन ब्रॉडकास्‍टिंग ऑफ चैनल, ओटीटी प्‍लेटफॉर्म का ऑपरेशन और प्रोडक्‍शन ऑफ मोसन पिक्‍चर में शामिल है. वहीं स्‍टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड भी कई तरह की मीडिया एक्टिविटी में शामिल है. इसमें टीवी ब्रॉडकास्टिंग, मोसन पिक्‍चर और ओटीटी प्‍लेटफॉर्म का ऑपरेशन का संचालन करती है. स्‍टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड अमेरिका की वॉल्‍ट डिज्‍नी कंपनी द्वारा पूर्ण रूप से मालिकाना हक वाली कंपनी है. 

इस साल फरवरी में हुई है दोनो कंपनियों की डील 
दोनों कंपनियों की डील इस साल फरवरी में हुई है. दोनों कंपनियों ने अपने इंडिया ऑपरेशन को मर्ज करने के लिए डील साइन की है, ये डील 700000 हजार करोड़ रुपये या 8.5 बिलियन डॉलर की है. अगर ये डील पूरी तरह से सफल हो जाती है तो ये पूरे भारत में मनोरंजन की दुनिया में सबसे बड़ी फर्म बन जाएगी जिसके पास कई भाषाओं में 100 चैनल, दो लीडिंग ओटीटी चैनल, होंगे जिसका व्‍यूवर बेस 750 मिलियन होगा. इस पूरे ज्‍वॉइंट वेंचर को नीता अंबानी हेड करेंगी. जबकि उदय शंकर इसके वाइस चेयरमैन होंगे. इस डील के बाद रिलायंस के पास 63.16 प्रतिशत हिस्‍सेदारी होगी जबकि स्‍टार इंडिया के पास 36.84 प्रतिशत हिस्‍सेदारी होगी. 
 


PTC इंडिया के चेयरमैन राजीब मिश्रा को कंपनी को देने होंगे 10 लाख रुपये, जानिए क्यों?

फोरेंसिक ऑडिट ने ब्रिज लोन के तहत एनपीएल को दिए गए फंड के डायवर्जन और गलत इस्तेमाल का संकेत दिया था, जिससे खाते में धोखाधड़ी की गतिविधियों का स्पष्ट संदेह पैदा हुआ.

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Saturday, 25 May, 2024
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पीटीसी इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेज के सीएमडी राजीब मिश्रा को कंपनी को करीब 10 लाख रुपए लौटाने को कहा गया है. ऐसा तब हुआ है जब पीटीसी इंडिया के लीगल ऑडिटर और कुछ बोर्ड सदस्यों ने बाजार नियामक सेबी के साथ मिश्रा के मुद्दों की कानूनी लागत वहन करने पर कंपनी पर चिंता जताई थी. मिश्रा ने कंपनी के ऑडिटर लोढ़ा एंड कंपनी को 17 मई 2024 को एक पत्र भी लिखा, जिसमें कहा गया कि वह कंपनी द्वारा वकील की फीस और यात्रा के लिए खर्च किए गए 9,86,631 रुपए लौटा रहे हैं.

PTC इंडिया ने दिए थे 40 लाख रूपये

सूत्रों के अनुसार कंपनी के खातों से पता चला है कि PTC इंडिया ने मेसर्स सुभाष मोहंती, मेसर्स एससीएम एसोसिएट्स, मेसर्स एमजी लॉ को करीब 40 लाख रुपए दिए थे. दस्तावेजों में एक नोट मिला है, जिसमें कहा गया है कि यह पैसा आरबीआई और सेबी में कंपनी का प्रतिनिधित्व करने के लिए दिया गया था. लेकिन कंपनी के ऑडिटर और कुछ बोर्ड सदस्यों का मानना है कि पीटीसी इंडिया का SEBI या RBI से कोई कानूनी झगड़ा नहीं था और मिश्रा और पूर्व एमडी पवन सिंह को नोटिस उनकी व्यक्तिगत क्षमता में जारी किए गए थे.

पवन सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया

8 मई 2023 को, सेबी ने मिश्रा और पीटीसी इंडिया के एमडी और सीईओ पवन सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें कंपनी के प्रबंधन में पूरी तरह से गड़बड़ी, महत्वपूर्ण फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट पर बोर्ड को अंधेरे में रखने के लिए ऋण खातों में धोखाधड़ी को छिपाने और महत्वपूर्ण रिक्तियों को नहीं भरने का आरोप लगाया था. SEBI से लड़ने के लिए मिश्रा के कानूनी खर्च पीटीसी इंडिया द्वारा वहन किए जा रहे थे, जिसके बारे में पता चलने पर ऑडिटर और बोर्ड के सदस्यों ने आपत्ति जताई. इसके बाद, मिश्रा ने सेबी के कानूनी नोटिस का जवाब देते हुए कानूनी लागत पर खर्च की गई राशि वापस कर दी.

बोर्ड की मीटिंग भी हुई स्थगित

इस बीच, पीटीसी इंडिया ने 20 मई को होने वाली अपनी बोर्ड मीटिंग स्थगित कर दी थी, जिसमें 31 मार्च 2024 को समाप्त चौथी तिमाही और वर्ष के लिए ऑडिटेड वित्तीय परिणामों पर विचार और अनुमोदन किया जाना था. ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी के खाते तैयार नहीं थे, जिससे फिर से और गड़बड़ियां सामने आने का संदेह पैदा हो गया है. लेकिन कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को दिए गए नोटिस में कहा कि 31 मार्च 2024 को समाप्त चौथी तिमाही और वर्ष के लिए स्टैंडअलोन और कंसोलिडेटेड फाइनेंशियल रिजल्ट अंतिम चरण में हैं और वे 25 मई 2024 को बैठक करेंगे.

ROC ने ऑडिटर को किया तलब

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (ROC), नई दिल्ली के जांच अधिकारियों ने अब PTC इंडिया के ऑडिटरों को उनकी जांच के संबंध में तलब किया है. लोढ़ा एंड कंपनी के एक भागीदार गौरव लोढ़ा को आरओसी ने तलब किया, जिसमें कहा गया कि उसने खातों में विभिन्न विसंगतियां, उल्लंघन और गैर-अनुपालन देखे हैं. सिंह एमडी और सीईओ थे जो वर्तमान में जबरन छुट्टी पर हैं जबकि पूर्व अध्यक्ष मिश्रा अब कंपनी के सीएमडी हैं. दोनों पर सेबी ने गंभीर कुप्रबंधन का आरोप लगाया है. 

राजीब मिश्रा के आचरण की भी हो रही है जांच

सूत्रों का कहना है कि आरबीआई मिश्रा के आचरण की भी जांच कर रहा है। मिश्रा को भेजे गए सेबी के नोटिस में उन्हें और सिंह को कंपनी में "स्टीयरिंग व्हील" कहा गया था और कॉर्पोरेट प्रशासन की विफलता के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया गया था. वहीं गौरव लोढ़ा को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि जांच को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए उनका बयान/बचाव दर्ज करना जरूरी हो गया है. आरओसी पीएफएस के विभिन्न वित्तीय रिकॉर्ड और दस्तावेजों की जांच कर रहा था, जिन पर ऑडिटरों के हस्ताक्षर थे.

सेबी का कारण बताओ नोटिस

राजीब मिश्रा और पवन सिंह के नेतृत्व में 2022 में छह स्वतंत्र निदेशकों (ID) ने पीएफएस बोर्ड से इस्तीफा दे दिया. सेबी एससीएन ने आरोप लगाया था कि ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों को बैठक के मिनटों में सही ढंग से दर्ज नहीं किया गया था और दोनों ही इस्तीफा देने वाले आईडी द्वारा उठाई गई चिंताओं पर निष्पक्ष रूप से गौर करने में विफल रहे.

दिलचस्प बात यह है कि पवन सिंह ने रत्नेश कुमार नामक व्यक्ति को पूर्णकालिक निदेशक के रूप में पीएफएस में शामिल नहीं होने दिया, जबकि उनकी नियुक्ति को बोर्ड और विभिन्न समितियों ने मंजूरी दे दी थी. महीनों तक इंतजार करने के बाद कुमार फिर से एनटीपीसी में शामिल हो गए, जहां से वे आए थे. पवन सिंह ने रत्नेश कुमार की नियुक्ति का इस आधार पर विरोध किया था कि उनके पास एनबीएफसी में काम करने का अनुभव नहीं है.

लोन अकाउंट में धोखाधड़ी का खुलासा हुआ

पवन सिंह और राजीब मिश्रा ने कथित तौर पर एक महत्वपूर्ण फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के खुलासे में दो साल की देरी की, जिसमें नागपट्टनम पावर एंड इंफ्राटेक या एनपीएल के ऋण खाते में धोखाधड़ी का खुलासा हुआ और बोर्ड की मंजूरी के बिना पटेल दराह-झालावाड़ हाईवे को दिए गए ऋण की शर्तों में एकतरफा बदलाव किए। सेबी का कहना है कि दोनों को पूर्व पीएफएस चेयरमैन दीपक अमिताभ द्वारा उठाए गए मुद्दों की कोई चिंता नहीं थी और उन्होंने आईडी द्वारा किसी भी संचार को नजरअंदाज कर दिया और बोर्ड के साथ इस बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की.

फंड के गलत इस्तेमाल का संकेत

फोरेंसिक ऑडिट ने ब्रिज लोन के तहत एनपीएल को दिए गए फंड के डायवर्जन और गलत इस्तेमाल का संकेत दिया था, जिससे खाते में धोखाधड़ी की गतिविधियों का स्पष्ट संदेह पैदा हुआ. ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएफएस ने आरबीआई को इसका खुलासा नहीं किया. हालांकि, इस तरह के गैर-प्रकटीकरण या गैर-अनुपालन में जानबूझकर या दुर्भावनापूर्ण इरादे शामिल नहीं हो सकते हैं, लेकिन लापरवाही, कमजोर सिस्टम और नियंत्रण की कमी के कारण ऐसा हुआ, कुल मिलाकर यह प्रबंधन की विफलता है.
 


Hero ग्रुप की इस कंपनी पर RBI ने लगाया लाखों का जुर्माना, क्या ग्राहकों पर  पड़ेगा इसका असर?

RBI ने फाइनेंस सेक्टर में काम करने वाली हीरो ग्रुप (Hero Group) की एक कंपनी पर 3.1 लाख का जुर्माना लगाकर बड़ा झटका दे दिया है।

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Saturday, 25 May, 2024
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत में फाइनेंस सेक्टर पर निगरानी रखने का काम करता है. इन दिनों आरबीआई ऐक्शन मोड में है, आरबीआई पेटीएम (Paytm) पर भी कार्रवाई कर चुका है, ऐसे में आरबीआई ने फाइनेंस सेक्टर से जुड़ी हीरो ग्रुप (Hero)  की एक कंपनी पर नियमों का पालन करने में लापरवाही करने के लिए 3.1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. आप जानते हैं आरबीआई ने कंपनी के खिलाफ के कदम आखिर क्यों उठाया और क्या इस जुर्माने से कंपनी के सामान्य ग्राहकों पर कोई असर पड़ेगा?

नियमों का नहीं किया पालन
जानकारी के अनुसार आरबीआई ने हीरो ग्रुप की कंपनी हीरो फिनकॉर्प लिमिटेड (Hero Fincorp Limited) पर 3.1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कंपनी पर ये जुर्माना इसलिए लगाया गया है क्योंकि उसने व्यापार करने के उचित तरीकों के लिए बनाई गई संहिता के कुछ प्रावधानों का सही से पालन नहीं किया है. दरअसल, हीरो फिनकॉर्प पर आरोप है कि उसने कर्ज लेने वाले ग्राहकों को उनकी समझ में आने वाली स्थानीय भाषा में कर्ज के नियम और शर्तों को लिखित तौर पर नहीं बताया था.

ग्राहकों को नहीं होगा कोई नुकसान

आरबीआई ने साफ किया है कि कंपनी पर ये जुर्माना सिर्फ रेग्युलेटरी नियमों का सही से पालन नहीं करने के लिए लगाया गया है. ऐसे में इस फैसले का असर कंपनी के ग्राहकों पर नहीं होगा, ना ही कंपनी और उसके ग्राहकों के बीच होने वाले किसी लेनदेन पर इसका असर होगा.

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पहले भेज नोटिस फिर जुर्माना
आरबीआई ने कंपनी के कामकाज की 31 मार्च 2023 को जो समीक्षा की थी, उसमें कई कमियां पाईं गईं. इसके बाद आरबीआई ने कंपनी को कई डायरेक्शंस दी, लेकिन कंपनी उनका समय से पालन नहीं कर सकी. फिर कंपनी को आरबीआई ने एक नोटिस भेजा और इसके जवाब से संतुष्ट नहीं होने के बाद उसके खिलाफ 3.1 लाख रुपए का जुर्माना लगाने का फैसला किया.
 


IT विभाग ने नोटिफाई किया CII, जानते हैं इसका क्‍या होगा आप पर असर?

दरअसल हमारे निवेश से लेकर सं‍पत्ति की कीमत समय के साथ बढ़ती रहती है. ऐसे में उस पर टैक्‍स का सही आंकलन करने के लिए इस बार इसे 363 तय किया गया है. 

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केन्‍द्र सरकार के वित्‍त मंत्रालय ने वर्ष 2024-25 के लिए लागत मुद्रास्‍फीति सूचकांक का निर्धारण कर दिया है. सरकार ने इस बार के लिए लागत मुद्रास्‍फीति सूचकांक को 363 तय किया है. इससे पहले पिछले साल में ये सूचकांक 348 तय किया गया था. लागत मुद्रासफीति सूचकांक में कुछ संशोधन भी किए गए हैं. सीबीडीटी की ओर से इसे लेकर ट्वीट कर जानकारी दी गई है. 

इनकम टैक्‍स विभाग की ओर से ट्वीट कर दी गई जानकारी 
इस मामले में आयकर विभाग ने ट्वीट कर जानकारी दी है. आयकर विभाग की ओर से किए गए ट्वीट में बताया गया है कि सीबीडीटी 24 मई, 2024 की अधिसूचना संख्या 44/2024 के माध्यम से वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (सीआईआई) को अधिसूचित करता है. आयकर विभाग ने असेसमेंट ईयर 2025-26 और उसके बाद के वर्षों के लिए प्रासंगिक वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लागत मुद्रास्फीति सूचकांक 363 है.

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आम आदमी से कैसे जुड़ा कॉस्‍ट इन्‍फ्लेशन सूचकांक 
दरअसल जब कभी भी कम कोई अचल संपत्ति जैसे निवेश या संपत्ति पर लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स की गणना की जाती है तो ये उसके बहुत काम आता है. यही नहीं सिक्‍योरिटी या ज्‍वैलरी को बेचने से हासिल होने वाले लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स की गणना में ये भी काफी काम आता है. सरकार की ओर से लगभग हर वर्ष के लिए कॉस्‍ट इन्‍फ्लेशन सूचकांक का निर्धारण किया जाता है. ये महंगाई को ध्‍यान में रखते हुए असेट की खरीद कीमत और उसकी वर्तमान कीमत को एडजस्‍ट करता है. इससे ये भी सुनिश्चित होता है कि सामान्‍य मूल्‍य वृि‍द्ध से होने वाले होने वाले नाममात्र लाभ की बजाए वास्‍तविक लाभ पर टैक्‍स लगाया जाए. 

पिछले कुछ सालों में कितना रहा है सूचकांक 
अगर आयकर विभाग द्वारा पिछले कुछ सालों में तय किए गए सूचकांकों पर नजर डालें तो वो समय के साथ बदलते रहे हैं. ये 2014-15 में 240, 2015-16 में 254, 2016-17 में 264, 2017-18 में 272, 2018-19 में 280, 2019-20 में 289, 2020-21 में 301, 2021-22 में 317, 2022-23 में 331, 2023-24 348 और 2024-24 के लिए 363 तय किया गया है. ये समय के साथ लगातार बढ़ रहा है. 
 


शेयर मार्केट का चस्का, बेंगलुरु वालों ने गंवा दिए 200 करोड़, आप भी न करें ये गलती

बेंगलुरु में पिछले चार महीने में निवेशकों को स्टॉक मार्केट फ्रॉड के जरिए 200 करोड़ रुपये का चूना लग चुका है.

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Saturday, 25 May, 2024
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शेयर बाजार से जुड़ी एक अहम खबर सामने आई है. शेयरों में लोगों की बढ़ती रुचि का फायदा जालसाज उठा रहे हैं. ये रिटेल निवेशक को शेयर बाजार से गारंटीड रिटर्न दिलाने का झांसा देते हैं. जो इनके फेंके जाल में आ जाता है, उसकी पूरी पूंजी ये ठग ले उड़ते हैं. हालांकि, बाजार नियामक सेबी बार-बार निवेशकों से ऐसे ठगों से सावधान रहने की अपील करता रहता है, लेकिन फिर भी बहुत से लोग इनके जाल में फंस ही जाते हैं. ऐसे कई मामले बेंगलुरु में सामने आए हैं. बेंगलुरु में पिछले चार महीने में निवेशकों को स्टॉक मार्केट फ्रॉड के जरिए 200 करोड़ रुपये का चूना लग चुका है.

4 महीने में लगा 200 करोड़ का चूना

बेंगलुरु में पिछले कुछ समय के दौरान स्टॉक मार्केट फ्रॉड के मामलों में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है. पिछले चार महीनों में शहर के लोगों को कुल 197 करोड़ रुपये का चूना लगा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बेंगलुरु पुलिस के साइबर क्राइम सेल ने पिछले चार महीने में कुल 735 ऐसे मामले दर्ज किए हैं, जिनमें लोगों के साथ निवेश के नाम पर फ्रॉड को अंजाम दिया गया है. हैरानी की बात ये है कि एक भी मामले में पुलिस रिकवरी करने में सफल नहीं रही है. वहीं 10 फीसदी मामले में केवल बैंक खाते को फ्रीज किया जा सका है.

हर दिन दर्ज हो रहे 8 मामले

खबर के मुताबिक, फरवरी के महीने में सबसे ज्यादा स्टॉक मार्केट फ्रॉड के मामले सामने आए हैं. साइबर पुलिस ने मामलों की जांच के लिए स्पेशल टीम का गठन किया है. पुलिस के मुताबिक अकेले फरवरी 2024 में हर दिन स्टॉक मार्केट फ्रॉड से जुड़े 8 केस रजिस्टर हुए हैं. कुल 237 मामलों में लोगों से निवेश के नाम पर 88 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है. गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में लोगों के बीच स्टॉक मार्केट, म्यूचुअल फंड और अन्य वित्तीय विकल्पों में निवेश का क्रेज बढ़ा है. ऐसे में साइबर अपराधी निवेश के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं.

ऐसे बच सकते हैं फ्रॉड से

•    पैसा लगाने से पहले करें जांच-पड़ताल- शेयर बाजार में लगाने के लिए रेगुलेटेड ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को चुनें. सेबी या आरबीआई जैसे संस्थानों के साथ उनके रजिस्‍ट्रेशन की जांच करें.

•    अनचाहे ऑफर्स से सावधान- स्कैमर्स अक्सर लुभाने के लिए हाई प्रेशर रणनीति और गारंटीड रिटर्न के वादे से फंसाते हैं. किसी भी अनचाहे कॉल, ईमेल या सोशल मीडिया मैसेज के आधार पर निवेश करने से बचें.

•    नहीं मिलता गारंटीड रिटर्न- यह बात अच्‍छी तरह समझ लें कि शेयर बाजार में किसी भी निवेश पर प्रॉफिट की कोई गारंटी नहीं है. “जल्दी अमीर बनाने” का दावा करने वाले लोगों और फर्मों से बचकर रहें.

•    निजी जानकारी शेयर न करें- स्कैमर्स से बचने का सबसे आसान तरीका ये है कि कभी अपना यूजर नेम, पासवर्ड और टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन कोड किसी के साथ शेयर न करें.

•    मुफ्त निवेश सलाह से सावधान- सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्रोफेशनल्स अपनी सर्विसेज के लिए फीस लेते हैं. मुफ्त सलाह अक्सर लोगों को किसी घोटाले में फंसाने की एक चाल हो सकती है.
 


जिनकी कंपनी ने दिया 'विको टरमरिक,नहीं कॉस्‍मेटिक' जैसा जिंगल, वो यशवंत पंढ़ेरकर नहीं रहे

ये कंपनी उस दौर में खड़ी हुई जब देश में लोग कई विदेशी ब्रैंड की क्रीम को इस्‍तेमाल कर रहे थे. उनका इस बाजार पर एकछत्र राज था. लेकिन ये इस कारोबारी की हिम्‍मत थी कि उसने देश का ब्रैंड शुरू किया. 

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Saturday, 25 May, 2024
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ये वो दौर था जब टीवी पर सिर्फ दूरदर्शन आया करता था, टीवी की दिवानगी ऐसी थी कि जो भी विज्ञापन आता वो गाना बनकर लोगों की जुबां पर चढ़ जाता था. उन्‍होंने अपनी कंपनी का एक ऐसा टीवी जिंगल बनाया जो लोगों की जुबां पर चढ़ गया. यहां गीत लोगों की जुबां पर चढ़ा और वहां कंपनी का टर्नओवर दिन दोगुनी और रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ने लगा. अपने प्रोडक्‍ट की बेहतरीन क्‍वॉलिटी और टीवी जिंगल से कारोबार खड़ा करने वाले यशवंत पढ़ेरकर अब हमारे बीच नहीं रहे. 85 साल के यशवंत ने शुक्रवार को आखिरी सांस थी. यशवंत पढ़ेरकर भारत के पहले आयुवेर्दिक क्रीम के जनक थे. 

आखिर कहां से शुरू हुआ था विको का सफर 
अगर ये कहा जाए कि विको की शुरुआत शून्‍य से शुरू होकर आज शिखर तक जा पहुंची है तो शायद गलत नहीं होगा. विको की शुरुआत केशव विष्‍णु पढ़ेरकर ने मुंबई के एक छोटे से गोदाम से की थी. शुरुआती दिनों में उन्‍होंने एक घर से इस क्रीम और पेस्‍ट को बनाना शुरू किया उसके बाद देखते ही देखते कंपनी का प्रोडक्‍ट लोगों को ऐसा भाया कि कंपनी निकल पड़ी. 1952 से शुरू हुआ कंपनी का सफर 1955 आते आते ऐसा तेजी से आगे बढ़ा कि      कंपनी का टर्नओवर 10 लाख रुपये सालाना हो गया. परेल के एक छोटे से गोदाम से शुरू हुई कंपनी जल्‍द ही बड़ी कंपनी में तब्‍दील हो गई. 

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2016 में बने कंपनी के चेयरमैन 
केशव विष्‍णु पढ़ेरकर नागपुर के रहने वाले थे. वहां वो एक राशन की दुकान चलाते थे लेकिन कुछ अलग करने की चाहत उनके हमेशा ही उनके दिल में थी. इसी का नतीजा था कि वो एक दिन मुंबई आ गए. उन्‍होंने मुंबई आकर देखा कि बाजार में पॉन्‍ड्स, नीविया, अफगान स्‍नो, जैसे विदेशी कॉस्‍मेटिक का लोग खूब इस्‍तेमाल करते हैं. यहीं से उन्‍हें विको को शुरू करने का आईडिया मिला. उन्‍होंने शुरुआत की और एक दिन ये हुआ कि आखिरकार उनकी कंपनी की हर ओर चर्चा होने लगी. विको ने अपने दौर में हिमालया और डाबर जैसे ब्रैंड्स को कड़ी टक्‍कर दी. वहीं इंटरनेशनल मार्केट में भी विको ने अपनी पहचान बनाई. 

यशवंत ने अपनी एलएलबी की पढ़ाई से किया कमाल 
यशवंत ने अपनी एलएलबी की पढ़ाई पूरी करके विको लेबोरेट्रीज में काम करना शुरू कर दिया. उन दिनों देश में इंस्‍पेक्‍टर राज चल रहा था. तभी एक्‍साइज डिपार्र्टमेंट से एक मामले को लेकर उनकी कानूनी लड़ाई शुरू हो गई. विको लेबोरेट्रीज और यशवंत के बीच 30 साल लंबी कानूनी लड़ाई चली. इस लड़ाई में उनकी कानूनी पढ़ाई ने उन्‍हें काफी मदद की और वो 1978 में एक्‍साइज डिपार्टमेंट से केस जीत गए. विको की शुरुआत भले ही मुंबई से हुई थी लेकिन यशवंत ने कंपनी की फैक्‍ट्री अपने घर नागपुर में ही शुरू की.