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मंगलवार, 25 नवंबर, 2008 को 13:18 GMT तक के समाचार
 
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बीबीसी हिंदी को मिला एबीयू अवार्ड
 
बिहार का एक स्कूल
स्कूलों पर केंद्रित था बीबीसी का ये विशेष कार्यक्रम
बीबीसी हिंदी के विशेष कार्यक्रम 'आओ स्कूल चलें' को प्रतिष्ठित एशिया ब्रॉडकास्टिंग यूनियन (एबीयू) अवार्ड के लिए चुना गया है.

इस कार्यक्रम में भारत में प्राथमिक शिक्षा की हालत की पड़ताल की गई थी, इस कार्यक्रम की प्रोड्यूसर थीं बीबीसी हिंदी की रुपा झा और उत्तर प्रदेश से किए गए कार्यक्रम में बीबीसी के उत्तर प्रदेश संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी का विशेष योगदान रहा.

एबीयू मीडिया जगत का प्रतिष्ठित पुरस्कार है जो रेडियो और टीवी के बेहतरीन कार्यक्रमों को दिया जाता है.

आओ स्कूल चलें सुनने के लिए क्लिक करें

इस प्रतिष्ठित अवार्ड के लिए एशियाई प्रसारकों में ज़ोरदार प्रतिस्पर्धा रहती है, बीबीसी के कार्यक्रम 'आओ स्कूल चलें' को विदेशी रेडियो प्रसारण की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम माना गया है.

आओ स्कूल चले छह कार्यक्रमों की श्रृंखला थी.

उत्तर प्रदेश से किए गए कार्यक्रम में बीबीसी संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी का साथ निभाया था बीबीसी के श्रोता पत्रकार दिवाकर ने जो लखीमपुरखीरी ज़िले में रहने वाले छात्र हैं.

इस श्रृंखला की सबसे खास बात यह थी कि श्रोता पत्रकारो की कार्यक्रम बनाने में अहम भूमिका दी गई थी.

दरअसल बीबीसी हिंदी ने पहले श्रोताओ से आग्रह किया कि वे अपने पास के सरकारी प्राइमरी स्कूल की हालत पर एक रिपोर्ट हमें लिख कर भेजें.

बड़ी संख्या मे चिट्ठियाँ आईं और उसमें से बीबीसी ने चुने छह राज्यो से श्रोता पत्रकार. इन श्रोता पत्रकारों ने बीबीसी के रिपोर्टरो के साथ मिलकर ये कार्यक्रम बनाए.

जिन राज्यों पर कार्यक्रम बने वे थे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक.

जिन बीबीसी रिपोर्टरो ने राज्यो का दौरा किया वे थे रामदत्त त्रिपाठी , मणिकांत ठाकुर, नारायण बारेठ, अनीश अहलूवालिया, सलमान रावी और श्याम सुंदर.

जिन श्रोता पत्रकारो ने इन कड़ियो को बनाने मे मदद की वे थे उत्तर प्रदेश से दिवाकर सिंह, झारखंड के गोड्डा से सुधीर, बिहार के मुज़फ्फरपुर से रजनीश कुमार, मध्य प्रेदश के बालाघाट से धमेंद्र धनेश्वर, राजस्थान के सीकर से रणवीर लखनी और कर्नाटक से खालिद कर्नाटकी.

इससे पहले वर्ष 2007 में बीबीसी हिंदी को सर्वश्रेष्ठ रेडियो डॉक्युमेंट्री का अवार्ड मिला था, इस कार्यक्रम का नाम था- 'चढ़ता पारा, बढ़ता संकट.' पर्यावरण के संकट पर इस विशेष डॉक्युमेंट्री के प्रोड्यूसर थे शिवकांत.

 
 
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