क्या वाकई ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल करने वाली है Modi सरकार?  

केंद्रीय कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि नई पेंशन स्कीम उनके लिए बड़ा घाटा है.

Last Modified:
Tuesday, 12 December, 2023
file photo

कर्मचारी लंबे समय से ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाल करने की मांग कर रहे हैं. मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी पर OPS को पुन: लागू करने का ऐलान किया था, लेकिन इसके बावजूद उसे हार का सामना करना पड़ा. अब सवाल ये उठता है कि क्या मोदी सरकार कर्मचारियों की इस मांग को पूरा करेगी? क्या लोकसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों को खुश करने की कोशिश की जाएगी? सरकार की तरफ से इसका जवाब आ गया है. 

2003 में हुई थी समाप्त 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि 1 जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त किए गए सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल करने का केंद्र सरकार के सामने कोई प्रस्ताव नहीं है. यानी एक तरह से यह साफ हो गया है कि सरकार की OPS बहाली की कोई योजना नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को समय-समय पर ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग को लेकर अनुरोध मिलता रहा है. चौधरी ने कहा कि नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को 22 दिसंबर 2003 को लागू किया गया था. सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए NPS को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं.

इन राज्यों में हुई बहाल
चौधरी ने आगे कहा फाइनेंस सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है, जो NPS के मौजूदा फ्रेमवर्क का अध्ययन कर रही है. गौरतलब है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने OPS को बहाल किया है. पुरानी पेंशन स्कीम में जहां रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी के 50% तक निश्चित पेंशन मिलती है. वहीं, NPS में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है. इसी तरह OPS में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती, जबकि NPS में कर्मचारी के वेतन से कटौती होती है. इसी वजह से कर्मचारी NPS को दोहरा नुकसान करार दे रहे हैं. 

OPS से बढ़ जाएगा बोझ
वहीं, आरबीआई की सोमवार को जारी रिपोर्ट 'State Finances: A Study of Budgets of 2023-24' में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर बड़ी बात कही गई है. रिपोर्ट कहती है कि आंतरिक अनुमानों के मुताबिक यदि सभी राज्य ओपीएस बहाल करते हैं तो सरकार का वित्तीय बोझ NPS की तुलना में 4.5 गुना बढ़ सकता है. OPS से साल 2060 तक सालाना अतिरिक्त बोझ GDP का 0.9 प्रतिशत पहुंच जाएगा. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कुछ राज्यों ने ओपीएस बहाल कर दी है और कुछ इस दिशा में बढ़ रहे हैं. लेकिन इससे राज्यों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा और वे विकास कार्यों पर खर्च नहीं कर पाएंगे.
 


KKR के शाहरुख की तरह चाहते हैं चेहरे पर स्माइल? आज इन शेयरों पर खेल जाएं दांव!

आईपीएल में KKR की जीत पर शाहरुख जितना खुश हैं, उतनी खुशी तेजी के संकेत वाले शेयर आपको दे सकते हैं.

Last Modified:
Tuesday, 28 May, 2024
BWHindia

चुनावी मौसम में शेयर बाजार (Stock Market) में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. सप्ताह के पहले दिन यानी सोमवार को भी बाजार बड़ी छलांग लगाकर आखिरी में गिरावट पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान BSE सेंसेक्स पहली बार रिकॉर्ड 76,000 के पार चला गया और NSE निफ्टी भी अपने अब तक के उच्चतम पर पहुंच गया. लेकिन, बाद में बिकवाली के दबाव के चलते दोनों इंडेक्स में नरमी आ गई. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 19.89 अंक फिसलकर 75,390.50 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 24.65 अंक गिरकर 22,932.45 पर बंद हुआ.

इनमें आ सकता है उछाल
सप्ताह के दूसरे दिन यानी मंगलवार को कुछ शेयरों में तेजी के संकेत मिले हैं. मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) की मानें, तो आज Maruti Suzuki, Axis Bank, Sobha, Anand Rathi Wealth, Aegis Logistics और Blue Dart Express में तेजी देखने को मिल सकती है. ऐसे में यदि आप इन पर दांव लगाते हैं, तो आपके लिए मुनाफा कमाने की गुंजाइश बनी रहेगी. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श ज़रूर कर लें, अन्यथा आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. 

इनमें मंदी के हैं संकेत
MACD तेजी के साथ ही मंदी के भी संकेत देता है. आज इंडिगो एयरलाइन की पैरेंट कंपनी InterGlobe Aviation के साथ-साथ Lakshmi Machine Works, Blue Star और SW Renewable Energy में गिरावट देखने को मिल सकती है. यानी इनमें निवेश को लेकर सावधानी बरतें. चलिए जानते हैं कि कल इन शेयरों ने कैसा कारोबार किया था. Interglobe Aviation के शेयरों में कल भी गिरावट का माहौल था. 0.15% लुढ़ककर ये शेयर 4,250 रुपए पर पहुंच गया. इसी तरह, Lakshmi Machine भी कल लुढ़कर 16,490 रुपए पर आ गया. ब्लू स्टार में मंगलवार को 0.077% के गिरावट आई और यह 1,484 रुपए पर बंद हुआ. इस लिस्ट में Sterling and Wilson Renewable Energy एकमात्र ऐसा शेयर रहा, जो 0.21% की उछाल के साथ 759 रुपए पर बंद हुआ.

इन पर बनाए रखें नजर 
अब बात करते हैं उन शेयरों की, जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में Axis Bank, Adani Ports, Tata Steel, Bharti Airtel, NTPC और Divi's Labs शामिल हैं. इन शेयर ने अपना 52 हफ्ते का हाई लेवल पार कर लिया है. इनके अलावा, आज Concord Biotech के शेयरों पर भी नजर रखें. एक रिपोर्ट के अनुसार, एक बड़ी ब्लॉक डील के जरिए कंपनी के 468.40 करोड़ रुपए के शेयर बिक सकते हैं. दरअसल, शेयरहोल्डर ओंटारियो इंक Concord Biotech में अपनी 3.4 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है. कल कंपनी का शेयर करीब 1 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,441.95 रुपए पर बंद हुआ था.


भारत के दिग्गज उद्योगपतियों ने लोकतांत्रिक पर्व में लिया हिस्सा, बढ़-चढ़कर किया मतदान

अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाली हस्तियों में अंबानी परिवार, आनंद महिंद्रा, कुमार मंगलम बिड़ला, रतन टाटा, दीपक पारेख, नारायण मूर्ति, सुधा मूर्ति और गौतम अडानी शामिल हैं.

Last Modified:
Monday, 27 May, 2024
BWHindia

नागरिक कर्तव्य और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हुए, भारत के कई प्रमुख उद्योगपतियों ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अब तक छह चरणों में अपने वोट डाले हैं. अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाली हस्तियों में मुकेश और नीता अंबानी, अनिल अंबानी, आनंद महिंद्रा, कुमार मंगलम बिड़ला, रतन टाटा, दीपक पारेख, नारायण मूर्ति, सुधा मूर्ति और गौतम अडानी शामिल हैं.

अंबानी परिवार ने किया मतदान

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी अपनी पत्नी नीता अंबानी के साथ सुबह-सुबह मुंबई में अपने स्थानीय मतदान केंद्र वोट डालने पहुंचे. अंबानी परिवार ने नागरिकों को मतदान करने के लिए जोर दिया. मुकेश अंबानी ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हर एक वोट मायने रखता है. हमें अपने देश के उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए सभी को इसमें भाग लेना चाहिए. इसके साथ ही रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने भी चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लिया, उन्होंने मतदान की शक्ति में अपना विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि नागरिकों के तौर पर यह हमारा कर्तव्य है कि हम मतदान करें और अपनी आवाज बुलंद करें.

लोकतांत्रिक पर्व का हिस्सा बने महिंद्रा और बिड़ला

महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने सोशल मीडिया पर मतदान के प्रति अपने उत्साह को साझा किया और दूसरों से भी ऐसा ही करने का आग्रह किया. एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि मतदान केवल हमारा अधिकार नहीं है; यह हमारी जिम्मेदारी भी है, मैं सभी को प्रोत्साहित करता हूं कि वे अपने देश के भविष्य के लिए मतदान करें. आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला भी मतदान केंद्रों पर इन कारोबारी नेताओं की कतार में शामिल हुए और देश के भविष्य को आकार देने में हर वोट के महत्व को बताया, उन्होंने कहा कि हमारे वोट एक मजबूत और जीवंत लोकतंत्र की आधारशिला हैं.

चुनाव का आखिरी चरण: 'कमल' वालों पर मेहरबान हैं लक्ष्मी या 'हाथ' थामने वाले हैं सबसे रईस?

रतन टाटा ने भी निभाया अपना कर्तव्य

टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा, जो व्यावसायिक और सामाज के प्रति जिम्मेदारी के लिए जाने जाते हैं वो भी वोट देने वालों में शामिल थ. रतन टाटा, जो हमेशा से सुशासन के समर्थक रहे हैं उन्होंने कहा कि मतदान हर नागरिक का मौलिक अधिकार और महत्वपूर्ण कर्तव्य है. HDFC के चेयरमैन दीपक पारेख ने वोट देकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की, उन्होंने लोकतंत्र में सक्रिय भागीदारी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि एक मजबूत लोकतंत्र सक्रिय और जागरूक नागरिकों की नींव पर बनता है. 

नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति ने भी की वोटिंग

IT इंडस्ट्री और परोपकार दोनों में अपने योगदान के लिए जाने जाने वाले Infosys के को-फाउंडर नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति को अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन करते देखा गया. नारायण मूर्ति ने इस मौके पर कहा कि सभी के लिए मतदान बदलाव का एक शक्तिशाली साधन है. खासकर युवाओं के लिए इसलिए मतदान करना आवश्यक है. 

लोगों के लिए प्रेरणा बने बिजनेसमैन

अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने भी वोटिंग में हिस्सा लिया, जिससे पता चलता है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भारत के शीर्ष उद्योगपतियों किस तरह से भागीदार बन रहे हैं. अडानी ने देश को प्रगति और समृद्धि की ओर ले जाने में प्रत्येक वोट का महत्व बताया. इन उद्योगपतियों ने अपना वोट देकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी के महत्व के बारे में एक मजबूत संदेश दिया है. उद्योगपतियों की सक्रिय भागीदारी लाखों भारतीयों के लिए अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करने और देश के भविष्य को आकार देने वाली लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम किया है.
 


हिंदुजा ग्रुप की बढ़ने वाली हैं मुश्किलें, कर्जदाताओं ने कंपनी से मांगे 3000 करोड़ रुपये

LIC और EPFO द्वारा नेतृत्व वाली COC ने हिंदुजा की 500 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को भुनाने और इसे डिफॉल्ट की घटना घोषित करने की योजना बनाई है.

Last Modified:
Monday, 27 May, 2024
BWHindia

रिलायंस कैपिटल (RCAP) के कर्जदाता, अरबपति अशोक हिंदुजा के साथ सख्ती से पेश आ रहे हैं. क्योंकि अशोक हिंदुजा समय पर RCAP के कर्जदाताओं को पैसे का इंतजाम नहीं कर पाए, इसलिए कर्जदाताओं की समिति (COC) अब किसी और समय सीमा को बढ़ाने से पहले एक एस्क्रो अकाउंट में पहले 3000 करोड़ रुपये जमा करवाना चाहती है. COC के करीबी सूत्रों ने सिंगापुर से बिजनेसवर्ल्ड को यह जानकारी दी है,

6 जून को इस मामले में होगी सुनवाई

सूत्रों का कहना है कि COC जून महीने के लिए 14 प्रतिशत (सालाना) ब्याज और जुलाई महीने के लिए 19 प्रतिशत ब्याज (समाधान योजना की कुल राशि पर) भी चाहता है ताकि समय सीमा को 90 दिनों के लिए बढ़ाया जा सके. वरना, COC हिंदुजा ग्रुप द्वारा दी गई बैंक गारंटी को भुनाना चाहता है और इसे डिफॉल्ट की घटना घोषित करना चाहता है. यह मामला 6 जून को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में सुनवाई के लिए आएगा, जहां बड़ी बहस होने की उम्मीद है. 

समय सीमा के अंदर IIHL ने नहीं दिया पैसा

पिछले साल, हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) ने NCLT में बोली जीतकर कर्ज में डूबे रिलायंस कैपिटल (RCAP) को 9850 करोड़ रुपये (कर्जदाताओं को भुगतान करने के लिए समाधान राशि) में खरीदने का सौदा किया था. लेकिन NCLT की डील की समय सीमा 27 मई को और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की समय सीमा 17 मई को खत्म हो गई, जबकि IIHL ने कोई पैसा नहीं दिया। इससे कर्जदाताओं को गुस्सा आ गया है क्योंकि हिंदुजा ग्रुप ने बिना कोई पैसा दिखाए अपने प्रस्ताव की शर्तें बदल दी हैं. सूत्रों ने कहा कि इसी वजह से COC अब IIHL को कोई और समय सीमा बढ़ाने के लिए थोड़ा पैसा जमा करने की मांग कर रहे हैं.

बड़ी मुश्किल में फंसी बजट एयरलाइन, SpiceJet की उड़ानों पर लग सकता है ब्रेक!

हिंदुजा ग्रुप ने अपने वादे पूरे नहीं किए

हिंदुजा ग्रुप ने दो बार अपने वादे को पूरा नहीं किया: पहले जब उन्होंने 31 मार्च की समय सीमा को चूका और फिर इस महीने जब बीमा नियामक IRDA ने उनके प्रस्ताव को मंजूरी दी। प्रमोटर अशोक हिंदुजा ने कहा था कि वे IRDA के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के 48 घंटे के भीतर बकाया राशि चुका देंगे, जो 10 मई को मिली थी - लेकिन अभी तक हिंदुजा की तरफ से बकाया राशि चुकाने पर कोई खबर नहीं आई है, IRDA की मंजूरी के दो हफ्ते से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद अब हिंदुजा ग्रुप का भाग्य NCLT और RBI पर निर्भर है.

क्या कहते हैं RCAP के RFRP के क्लॉज?

RCAP के RFRP के क्लॉज 7.6.1 में लिखा है कि "सफल समाधान आवेदक को लेटर ऑफ इंटेंट के जारी होने के बाद, लेटर ऑफ इंटेंट में निर्धारित शर्तों और समयसीमा के अनुसार, और यदि आवश्यक हो, COC या प्रशासक द्वारा निर्दिष्ट समयसीमा के अनुसार, सभी शर्तों और शर्तों का पालन करना होगा, जिसमें निश्चित समझौतों पर हस्ताक्षर करना शामिल है. सफल समाधान आवेदक को समाधान योजना के प्रभावी कार्यान्वयन की जिम्मेदारी लेनी होगी और समाधान योजना और निश्चित समझौतों का पालन करना होगा और निर्दिष्ट समयसीमा के भीतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाने होंगे.

क्लॉज 7.6.5 में विफलता पर लिखा है कि NCLT की मंजूरी मिलने पर, यदि समाधान योजना के किसी हिस्से का कार्यान्वयन विफल हो जाता है, तो प्रशासक और COC उस संबंधित समाधान बोलीदाता/समाधान आवेदक के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार रखते हैं जिसने अपने हिस्से की समाधान योजना को लागू करने में विफलता दिखाई है और ऐसे अन्य पक्षों (जिसमें समाधान बोलीदाता और समाधान आवेदक शामिल हैं) के खिलाफ भी जो समाधान योजना के कार्यान्वयन में विफलता का कारण बने या उसमें योगदान दिया है. 

तीन महीने में पैसा नहीं जुटा पाया हिंदुजा ग्रुप

13 मार्च को NCLT ने IIHL से कहा था कि वह 31 मार्च तक समाधान योजना को लागू करे और 28 मई तक अधिग्रहण के लिए भुगतान पूरा करे.  IIHL ने RCAP के प्रशासक को लिखे पत्र में कहा था कि आप इस बात से अवगत हैं कि समाधान योजना का पूर्ण रूप से कार्यान्वयन, विशेषकर रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के आकार और पैमाने का, एक महीने और 10 दिनों से भी कम समय में (आदेश की तारीख 27 फरवरी से) न केवल अव्यवहारिक और असंभव है, बल्कि अकल्पनीय है. लेकिन सौदे के लिए योजना की मंजूरी के तीन महीने बाद भी हिंदुजा समूह पैसा नहीं जुटा पाया है, बल्कि उसने संशोधित योजना प्रस्तुत करके इसमें देरी भी कर दी है.
 


NTPC ने जारी किया Q4 का रिजल्ट, प्रॉफिट में हुआ 33% इजाफा, डिविडेंड का भी ऐलान

पब्लिक सेक्टर इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन कंपनी एनटीपीसी (NTPC) ने अपनी वित्त वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट जारी की है. कंपनी ने इस वर्ष कुल 1,81,166 करोड़ रुपये कमाए हैं.

Last Modified:
Monday, 27 May, 2024
BWHindia

देश की सबसे बड़ी सरकारी बिजली उत्पादन कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड (NTPC Limited) ने अपनी वित्त वर्ष 2024 (Financial Year 2024) की रिपोर्ट जारी की. एनटीपीसी ग्रुप ने इस साल कुल 1,81,166 करोड़ रुपये कमाए, जबकि पिछले साल ग्रुप ने 177,977 करोड़ रुपये की कमाई की थी. इस बार कंपनी ने अपनी इनकम में 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. इसके बाद निवेशकों के लिए डिविडेंड की भी घोषणा की.  

चौथी तिमाही का नेट प्रॉफिट
पब्लिक सेक्टर इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन कंपनी एनटीपीसी (NTPC) ने 2023-24 की चौथी तिमाही में 6490.05 रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया, जो पिछले साल 4871.5 करोड़ रुपये से 33 प्रतिशत अधिक है. वहीं, कंपनी की स्टैंडअलोन टोटल इनकम 1,65,707 करोड़ रुपये रही, जोकि पिछले वर्ष 1,67,724 करोड़ रुपये थी. प्रॉफिट आफ्टर टैक्स 18,079 करोड़ रुपये, जिसमें पिछले साल की तुलना में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई.

पैट में 24.60 प्रतिशत की बढ़ोतरी
बिजली मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि दिसंबर तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 24.5 प्रतिशत बढ़कर 5208.87 हो गया. 
वित्त वर्ष 2024 के लिए ग्रुप की टोटल इनकम 1,81,166 करोड़ रुपये थी, जबकि पिछले वर्ष की कुल इनकम 177,977 करोड़ रुपये थी, जिसमें 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) 21,332 करोड़ रुपये था, जबकि पिछले वर्ष का PAT 17,121 करोड़ रुपये था, इसमें भी कंपनी ने 24.60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. 

इस वर्ष 422 बिलियन यूनिट का प्रोडक्शन
एनटीपीसी ग्रुप ने पिछले साल की तुलना में इस वर्ष 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 422 बिलियन यूनिट का बिजली प्रोडक्शन का रिकॉर्ड दर्ज किया. वहीं, पिछले वर्ष 399 बिलियन यूनिट का प्रोडक्शन हुआ था.  एनटीपीसी का स्टैंडअलोन ग्रोस प्रोडक्शन पिछले वर्ष 344 बिलियन यूनिट की तुलना में, इस वर्ष 362 बिलियन यूनिट रहा, जिसमें 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई.
 
डिविडेंड की घोषणा
कंपनी के बोर्ड ने वित्त वर्ष के परिणाम घोषित करने के बाद शेयरधारकों के लिए प्रति इक्विटी शेयर 3.25 के डिविडेंड की सिफारिश की है. आपको बता दें, कंपनी नवंबर 2023 और फरवरी 2024 में निवेशकों को कुल 4.50 प्रति इक्विटी शेयर के अंतरिम डिविडेंड का भुगतान पहले ही कर चुकी है. ऐसे में इस वर्ष निवेशकों को कुल डिविडेंड 7.75 रुपये प्रति इक्विटी शेयर मिलेगा, जबकि पिछले साल 7.25 रुपये डिविडेंड प्रति इक्विटी शेयर मिला था.

इसे भी पढ़ें-UPI से करते हैं पेमेंट, तो जानिए ट्रांजेक्शन के लिए क्या है नियम?


NSE ने 250 रुपये के नीचे के शेयरों के टिक साइज में किया बदलाव, जानिए क्या होगा फायदा

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने एक सर्कुलर में कहा है कि 250 रुपये से कम कीमत वाले शेयरों का टिक साइज 1 पैसे का होगा. यह 10 जून से लागू होगा.

Last Modified:
Monday, 27 May, 2024
BWHindia

एनएसई ने एक बड़ा फैसला लिया है. फैसला ये है कि 250 रुपये के नीचे ट्रेड हो रहे शेयर में अब टिक-साइज में आपको 1 पैसे का फर्क नजर आएगा. अभी तक आमतौर पर 5 पैसे का टिक साइज दिखता है. एनएसई ने इसकी घोषणा तो कर दी है, जिसका सर्कुलर 24 मई को जारी किया गया, मगर यह लागू 10 जून से होगा. इस बदलाव से न सिर्फ लिक्विडिटी बढ़ेगी बल्कि प्राइस एडजस्टमेंट भी हासिल होगा. फैसला इतना ही है, मगर आपके लिए यह कैसे लाभदायक होगा, उसे जान लेना जरूरी है.

NSE ने जारी किया सर्कुलर

NSE द्वारा जारी किए गए सर्कुलर के मुताबिक, एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाली सभी सिक्योरिटीज़ पर टिक साइज में यह अंतर दिखेगा, सिवाय ईटीएफ (ETFs) के. T+1  सेटलमेंट वाली सिक्योरिटीज़ का टिक साइज T+0 सेटलमेंट (T0) सीरीज में भी नजर आएगा. एक्सचेंज ने जानकारी दी है कि महीने के अंतिम ट्रेडिंग दिन के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर टिक साइज को हर महीने रिव्यू और एडजस्ट भी किया जाएगा. बता दें कि 10 जून से केवल कैश में ही यह लागू होगा, मगर 8 जुलाई से यही टिक साइज फ्यूचर स्टॉक्स में भी लागू हो जाएगा.

हर शेयर पर 35 रुपए का डिविडेंड दे रही है ये कंपनी, क्या आपने लगाया है दांव?

क्या होता है टिक साइज ?

टिक साइज दो लगातार बाय और सेल प्राइस के बीच का मिनिमम प्राइस इंक्रीमेंट है. अगर टिक साइज छोटा हो तो प्राइस एडजस्टमेंट बहुत सटीक होता है. साथ ही बेहतर प्राइस निकलकर सामने आता है. उदाहरण के तौर पर यदि किसी स्टॉक का टिक प्राइस 0.10 रुपये और उसका लास्ट ट्रेडेड प्राइस 50 रुपये है तो उसका अगला बाय प्राइस 49.90, 49.80, 49.70 रुपये की सीरीज में होगा. ऐसी स्थिति में बिड प्राइस 49.85 या 49.92 रुपये नहीं हो सकती क्योंकि ये 10 पैसे टिक साइज के मापदंड पर फिट नहीं बैठती. बेचने वाला अपने हिसाब से ऑफर प्राइस डाल पाएगा और खरीदने वाला भी अपने मन मुताबिक रेट भर पाएगा.

इससे क्या होगा प्रभाव 

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव NSE के प्राइसिंग सिस्टम को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के मुकाबले लाकर खड़ा कर देगा. बीएसई ने पिछले साल मार्च में ही 100 रुपये से कम कीमत वाले स्टॉक का टिक साइज 1 पैसा कर दिया था. कैश मार्केट में बीएसई की बाजार हिस्सेदारी 2023 में 7 फीसदी से बढ़कर 2024 में 8 फीसदी हो गई है. समान अवधि में फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में इसकी हिस्सेदारी तेजी से बढ़कर 5.3 फीसदी से 17 फीसदी हो गई है. टिक साइज घटाने से मार्केट में बेहतर प्राइस डिस्कवरी, लिक्विडिटी और अधिक कुशल ट्रेडिंग सिस्टम तैयार होने की उम्मीद है.

NSE और BSE में कंपीटिशन?

जैसा कि आप जानते हैं NSE और BSE दोनों अलग-अलग स्टॉक एक्सचेंज हैं. बड़े स्टॉक तो दोनों एक्सचेंज पर लिस्ट हैं, मगर बहुत से ऐसे स्टॉक हैं, जो केवल BSE पर लिस्टेड हैं, मगर NSE पर नहीं. 31 दिसंबर 2023 के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक NSE पर कुल 2,266 स्टॉक लिस्टेड हैं. जबकि 24 जनवरी 2024 तक के उपलब्ध आंकड़ों के लिहाज से BSE पर 5,309 कंपनियां सूचीबद्ध हैं. ऐसे में NSE चाहती हैं कि उस पर भी ट्रेडिंग वॉल्यूम BSE के बराबर या उससे अधिक हो.
 


हर शेयर पर 35 रुपए का डिविडेंड दे रही है ये कंपनी, क्या आपने लगाया है दांव?

डिविडेंड कुछ ऐसा है, जिसकी घोषणा के साथ ही निवेशकों के चेहरे पर चमक आ जाती है.

Last Modified:
Monday, 27 May, 2024
BWHindia

ऑटोमोबाइल लाइटिंग सिस्टम बनाने वाली दिग्गज कंपनी ल्यूमैक्स इंडस्ट्रीज (Lumax Industries) अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न गिफ्ट देने वाली है. कंपनी ने शेयरधारकों को 35 रुपए प्रति शेयर के फाइनल डिविडेंड का ऐलान किया है, जो पिछले 5 सालों में कंपनी द्वारा दिया जाने वाला सबसे अधिक डिविडेंड है. हालांकि, ये बात अलग है कि इस ऐलान के बीच कंपनी के शेयर लुढ़क गए हैं. आज यानी सोमवार को दोपहर 2 बजे के करीब ल्यूमैक्स इंडस्ट्रीज के शेयर 6 प्रतिशत से अधिक के नुकसान के साथ 2,682.90 रुपए पर ट्रेड कर रहे थे.

पहले भी दिया है डिविडेंड
शेयरों में आई इस गिरावट के साथ ल्यूमैक्स इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप घटकर 2,511.64 करोड़ रुपए हो गया है. Lumax Industries ने तिमाही नतीजों के बाद 35 रुपए प्रति शेयर का फाइनल डिविडेंड घोषित किया है. आगामी वार्षिक जनरल मीटिंग (AGM) में इस पर शेयरधारकों की मंजूरी की जरूरत ली जाएगी. यदि मंजूरी मिल जाती है, तो इसके 30 दिनों के भीतर डिविडेंड का भुगतान कर दिया जाएगा. ल्यूमैक्स ने इससे पहले 2023 में 27 रुपए प्रति शेयर का फाइनल डिविडेंड घोषित किया था. जबकि, 2019 में 35 प्रति शेयर का डिविडेंड दिया था. 

ऐसे रहे हैं तिमाही नतीजे
ल्यूमैक्स इंडस्ट्रीज का मार्च तिमाही में रिवेन्यु पिछले साल की तुलना में 22% बढ़कर 742.7 करोड़ रुपए रहा है. इस दौरान कंपनी का EBITDA सालाना 33% बढ़कर 70 करोड़ रहा, जबकि मार्जिन 70 बेसिस प्वाइंट के इजाफे के साथ 9.4% हो गया. वित्तीय वर्ष 2024 में ल्यूमैक्स ने 2,637 करोड़ का रिवेन्यु दर्ज किया था और उसके नेट प्रॉफिट में 86 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई थी. स्टॉक मार्केट में Lumax Industries के प्रदर्शन की बात करें, तो पिछले एक महीने में कंपनी के शेयरों में छह प्रतिशत से अधिक की तेजी आई है. वहीं, इस साल अब तक यह आंकड़ा 7.99% है.

आखिर क्या होता है डिविडेंड?
हर कंपनी मुनाफा कमाने के लिए काम करती है. कई कंपनियां अपने मुनाफे में अपने शेयरहोल्डर्स को भी हिस्सेदार मानती हैं, ऐसे में जब कोई कंपनी साल भर में कमाए गए अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा शेयरहोल्डर्स में बांटती है, तो उसे ही डिविडेंड कहते हैं. हालांकि कई बार ऐसे भी होता है कि कंपनियां मुनाफे के बजाय सरप्लस कैश से भी शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड बांटती हैं.

क्या हर कंपनी देती है डिविडेंड?
कंपनियों के लिए डिविडेंड देना जरूरी नहीं होता, क्योंकि इससे कंपनियों को कुछ हासिल नहीं होता, सिवाय शेयरहोल्डर्स की खुशी और भरोसे के. इसलिए कंपनी चाहे तो वो अपने मुनाफे में से एक भी पैसा शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड के रूप में न दे. अक्सर देखा गया है कि छोटी-छोटी कंपनियां या जिन्होंने अभी अभी अपना काम शुरू किया है वो कंपनियों डिविडेंड नहीं देतीं. क्योंकि वो अपने मुनाफे को शेयरहोल्डर्स में बांटने के बजाए वापस बिजनेस के विस्तार और ग्रोथ में लगा देती हैं. जो कंपनियां डिविडेंड देती हैं वो आमतौर पर पूरी तरह से स्थापित और बड़ी कंपनियां होती हैं, लेकिन हर बड़ी कंपनी डिविडेंड दे ये भी जरूरी नहीं.

क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया?
कंपनी द्वारा जो भी डिविडेंड जारी किया जाता है, वो फेस वैल्यू पर होता है. फेस वैल्यू किसी भी शेयर की एक नॉमिनल वैल्यू होती है, जो कुछ खास मौकों को छोड़कर कभी नहीं बदलती. ऐसा नहीं है कि डिविडेंड कर निवेशक को मिलता है. यदि आप कंपनी के डिविडेंड के ऐलान के बाद यह सोचकर शेयर खरीद लेते हैं कि आपको डिविडेंड मिलेगा, तो ऐसा नहीं है. एक निर्धारित अवधि से पहले के शेयरहोल्डर्स को ही कंपनी डिविडेंड देती है. कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स के नामों की लिस्ट देखती है और उनमें उन नामों को छांटकर अलग करती है जो डिविडेंड के पात्र हैं. उस दिन को रिकॉर्ड डेट कहते हैं. कंपनी इस दिन ये बताती है कि वो कितने परसेंट का डिविडेंड देने वाली है.  

आपको क्या होता है फायदा?
कंपनियां डिविडेंड को वित्त वर्ष के दौरान कभी भी दे सकती हैं. यदि डिविडेंड साल के बीच में दिया जाता है, तो उसे अंतरिम डिविडेंड कहते हैं और अगर साल के अंत में दिया गया तो फाइनल डिविडेंड कहा जाता है. चलिए अब सबसे महत्वपूर्ण बात भी समझ लेते हैं कि डिविडेंड से आम निवेशक को क्या फायदा होता है. दरअसल, डिविडेंड एक तरह का रिटर्न गिफ्ट है. सीधे शब्दों में कहें तो कंपनी आपको उस पर भरोसा दर्शाने के लिए कुछ डिविडेंड के रूप में कुछ पैसा देती है. अब ये पैसा कितना होगा, यह आपके पास मौजूद शेयर्स की संख्या पर निर्भर करता है. उदाहरण के तौर पर, यदि आपके पास किसी कंपनी ने 500 शेयर्स हैं और वह कंपनी 10 रुपए प्रति शेयर का डिविडेंड का ऐलान करती है, तो आपको 500 शेयर्स पर कुल 5000 का डिविडेंड मिलेगा. यानी शेयर के भाव चढ़ने से आपको जो फायदा हुआ, उसके अलावा आपकी 5000 रुपए की अतिरिक्त कमाई हो गई. इसलिए डिविडेंड के नाम सुनते ही निवेशकों के चेहरे पर चमक आ जाती है.


NSE में TCS के पूर्व सीईओ को मिली बड़ी जिम्मेदारी, 3 साल तक निभाएंगे ये भूमिका

राजेश गोपीनाथन फिलहाल आईआईटी बॉम्बे में प्रोफेसर हैं. वह NSE के बोर्ड में शामिल होने वाले किसी टेक्नोलॉजी फर्म के दूसरे पूर्व सीईओ हैं.

Last Modified:
Monday, 27 May, 2024
BWHindia

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के के नेतृत्व में बड़ा बदलाव हुआ है. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ, राजेश गोपीनाथन को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के बोर्ड में नियुक्त किया गया है. राजेश गोपीनाथन फिलहाल IIT बॉम्बे में प्रोफेसर हैं. वह NSE के बोर्ड में शामिल होने वाले किसी टेक्नोलॉजी फर्म के दूसरे पूर्व सीईओ हैं. इससे पहले HCL टेक्नोलॉजी के पूर्व-चेयरमैन और सीईओ विनीत नायर भी NSE के बोर्ड में रह चुके हैं. नायर को सितंबर 2021 में नॉन-इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त किया गया था.

NSE बोर्ड में हुई नियुक्ति

राजेश गोपीनाथन की नियुक्ति NSE के बोर्ड ऐसे समय में हुई है जब वह अपने डेटा सेंटर को ट्रांसफर करने की योजना बना रही है. दरअसल कोरोना महामारी के बाद, कोलोकेशन ट्रेडिंग का प्रमुख तरीका बन गया है. डेरिवेटिव और कैश वॉल्यूम में भारी बढ़ोतरी से इस बदलाव को बढ़ावा मिला है. इसी को देखते हुए NSE ने अपना डेटा सेंटर ट्रांसफर करने का प्लान बनाया है. 

शेयर बाजार ने तेल व गैस कंपनियों पर लगाया लाखों का जुर्माना, जानिए इसकी वजह

3 साल का होगा कार्यकाल

गोपीनाथन के पास ग्लोबल टेक इंडस्ट्री में 25 सालों से अधिक का अनुभव है. उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक, TCS की अगुआई की है और कंपनी में विभिन्न पदों पर लंबा समय बिताया है. ऐसे में NSE के लिए उनका अनुभव काफी उपयोगी साबित हो सकता है. NSE की इस समय मुख्य प्राथमिकता अगले एक से डेढ़ साल के भीतर अपने डेटा सेंटर को ट्रांसफर करने की है. गोपीनाथन, पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर के रूप में NSE के बोर्ड हुए हैं. उनका कार्यकाल 3 साल का होगा, जो 23 अप्रैल 2024 से प्रभावी है. 

SEBI से मंजूरी मिलने का इंतजार

राजेश गोपीनाथन के अलावा विनीत नायर को भी NSE के बोर्ड में दोबारा नियुक्ति किया गया है. NSE के शेयरधारकों की बीते अगस्त में हुई 31वीं सालाना जनरल मीटिंग में उनकी दोबारा नियुक्ति को मंजूरी दी थी. वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही के लिए NSE की ओर से पिछले महीने भेजे एक रेगुलेटरी फाइलिंग के मुताबिक, अभी इन नियुक्तियों को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) से मंजूरी का इंतजार है.

डेटा सेंटर बदलाव

एनएसई के ग्रुप सीएफओ यात्रिक विन ने 6 मई को आय कॉल में निवेशकों को बताया कि NSE अपने डेटा सेंटर को "अगले साल किसी समय" एक नए स्थान पर स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखता है. एक्सचेंज के एमडी एवं सीईओ आशीष कुमार चौहान ने कहा कि एक्सचेंज बिल्डिंग (मुंबई में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स) के भीतर क्षमता बढ़ा रहा है. चौहान ने क्षमता का ब्यौरा दिए बिना कहा कि हम अपनी वर्तमान बिल्डिंग में क्षमता बढ़ा रहे हैं. इसलिए भविष्य में होने वाले विकास के लिए पर्याप्त रैक उपलब्ध रहेंगे, यहां तक कि इस बिल्डिंग में भी, जब तक हम नए डेटा सेंटर में शिफ्ट नहीं हो जाते. 
 


EaseMyTrip के सीईओ निशांत पिट्टी ने कर्ज में डूबी Go First को लेकर क्यों बदला मन?

गो फर्स्ट एयरलाइन के विमानों ने आखिरी उड़ान पिछले साल मई में भरी थी, उसके बाद से वो जमीन पर खड़े हैं.

Last Modified:
Monday, 27 May, 2024
BWHindia

गो फर्स्ट एयरलाइन (Go First Airline) के विमान पिछले एक साल से जमीन पर खड़े हैं. कर्ज के बोझ में दबी इस एयरलाइन को खरीदने के लिए ईजमाईट्रिप (EaseMyTrip) के को-फाउंडर और CEO निशांत पिट्टी (Nishant Pitti) ने दिलचस्पी दिखाई थी. लेकिन अब उन्होंने अपने कदम वापस खींच लिए हैं. पिट्टी के अपना मन बदलने से गो फर्स्ट के विमानों को फिर से हवा में उड़ते देखने की आस टूट गई है. मालदीव विवाद के दौरान सुर्खियों में आए पिट्टी का कहना है कि सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद उन्होंने Go First की बोली से हटने का फैसला किया है.

अजय सिंह के साथ लगाई थी बोली
निशांत पिट्टी के मेजॉरिटी स्टेक वाली कंपनी 'बिजी बी' ने कुछ वक्त पहले गो फर्स्ट में हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा दिखाई थी. इसके लिए फरवरी 2024 में कंपनी ने स्पाइसजेट एयरलाइन के MD और चेयरमैन अजय सिंह के साथ मिलकर बोली लगाई थी. लेकिन अब निशांत पिट्टी इस डील से पीछे हट गए हैं. हालांकि, अभी ये स्पष्ट नहीं है कि क्या अजय सिंह अकेले गो फर्स्ट को खरीदने की कोशिश करेंगे या फिर निशांत की तरह उन्होंने भी आगे नहीं बढ़ने का निर्णय लिया है. बता दें कि बिजी बी एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड निशांत पिट्टी और अजय सिंह का एक जॉइंट वेंचर है.

इस वजह से पीछे खींचे कदम
एक्सपर्ट्स का मानना है कि निशांत पिट्टी ने एविएशन सेक्टर में बढ़ती प्रतियोगिता के चलते यह निर्णय लिया है. इंडिगो, एयर इंडिया, स्पाइसजेट और अकासा एयर जैसी कंपनियां पहले से ही मौजूद हैं. इंडिगो देश की नंबर वन एयरलाइन है. टाटा समूह के हाथों में आने के बाद से एयर इंडिया भी लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही है. दिवंगत निवेशक राकेश झुनझुनवाला की एयरलाइन अकासा एयर ने थोड़े समय में काफी कुछ हासिल किया है. स्पाइसजेट भले ही तमाम संकटों में उलझी हो, लेकिन उड़ान भर रही है. इसके अलावा, जेट एयरवेज भी पुन: वापसी की कोशिश में है. ऐसे में Go First के लिए मजबूती से पैर जमाना उतना आसान नहीं होगा. एक्सपर्ट्स के अनुसार, उड़ान शुरू करने के बाद भी गो फर्स्ट के लिए बड़े पैमाने पर नकदी की जरूरत होगी, यानी ईंधन की तरफ उसमें लगातार पैसा लगाना होगा, इसके बाद ही कहीं जाकर प्रॉफिट की संभावना बनेगी. इसलिए पुट्टी ने कदम पीछे खींचने में ही भलाई समझी है. 

54 विमानों का रजिस्ट्रेशन रद्द  
संकट में घिरी गो फर्स्ट के खिलाफ एविएशन रेगुलेटर डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने बड़ा कदम उठाते हुए 1 मई को उसके 54 विमानों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया था. दरअसल, 26 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने गो फर्स्ट की ओर से लीज पर लिए गए विमानों को डी-रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहा था. इसके बाद DGCA ने यह कार्रवाई की. पेमब्रोक एविएशन, एक्सिपिटर इनवेस्टमेंट्स एयरक्राफ्ट्स 2 लिमिटेड, EOS एविएशन और SMBC एविएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उन विमानों को रिलीज करने की मांग की थी, जो उन्होंने गो फर्स्ट को लीज पर दिए गए थे. बता दें कि एयरलाइन इस समय दिवालिया प्रक्रिया के गुजर रही है.

एयरलाइन पर भारी भरकम है कर्जा 
गो फर्स्ट ने पिछले साल 2 मई को बताया था कि वो 3, 4 और 5 मई की अपनी सभी फ्लाइट कैंसिल कर रही है. इसके बाद से गो फर्स्ट से विमान आज तक उड़ान नहीं भर पाए हैं. गो फर्स्ट को 6,521 करोड़ रुपए का कर्जा चुकाना है. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को एयरलाइन से सबसे ज्यादा 1,987 करोड़ रुपए लेना है. बैंक ऑफ बड़ौदा का 1,430 करोड़ रुपए, डॉयचे बैंक का 1,320 करोड़ रुपए और IDBI बैंक का एयरलाइन पर 58 करोड़ रुपए बकाया है. एयरलाइन ने दावा किया था कि इंजनों की सप्लाई नहीं होने के चलते उसकी स्थिति खराब होती गई. 

वाडिया समूह की है गो फर्स्ट  
Go फर्स्ट वाडिया ग्रुप की बजट एयरलाइन है. 29 अप्रैल 2004 को गो फर्स्ट की शुरुआत हुई थी. इस एयरलाइन के बेड़े में 59 विमान शामिल हैं. गो फर्स्ट 35 डेस्टिनेशन के लिए फ्लाइट ऑपरेट करती थी. इसमें से 27 घरेलू और 8 अंतर्राष्ट्रीय डेस्टिनेशन शामिल थे. एयरलाइन ने साल 2021 में अपने ब्रैंडनेम  को Go Air से बदलकर गो फर्स्ट कर दिया था. 


शेयर बाजार ने तेल व गैस कंपनियों पर लगाया लाखों का जुर्माना, जानिए इसकी वजह

बीएसई और एनएसई ने Indian Oil, ONGC और Gail India जैसी कई बड़ी तेल एवं गैस कंपनियों पर निदेशक मंडल में जरूरी संख्या में निदेशकों की नियुक्ति न करने पर जुर्माना लगा दिया है.

Last Modified:
Monday, 27 May, 2024
BWHindia

शेयर बाजार (Share Market) ने जनवरी-मार्च तिमाही में लिस्टिंग से जुड़ी अनिवार्यताएं पूरा नहीं करने पर देश की बड़ी तेल और गौस कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया दिया है. ऐसे में कंपनियों को जुर्माने के भुगतान के साथ ही शेयर बाजार में गिरावट का सामना भी करना पड़ सकता है. 

इन कंपनियों पर लगाया गया है जुर्माना
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL), ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC), ऑयल इंडिया लिमिटिड (OIL) और मेंगलूर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स (MRPL) पर करीब 34 लाख रुपये का जुर्माना  लगाया गया है.

लगातार चौथी तिमाही में लगा जुर्माना
जानकारी के अनुसार कंपनियों पर यह जुर्माना 31 मार्च, 2024 तक अपने निदेशक मंडल में जरूरी संख्या में स्वतंत्र निदेशकों या महिला निदेशकों की नियुक्ति नहीं करने के लिए लगाया गया है. इन कंपनियों पर पिछली 3 तिमाहियों में भी इसी कारण से जुर्माना लगाया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईओसी, एचपीसीएल, बीपीसीएल, गेल, ओआईएल और एमआरपीएल ने पर 5,36,900 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. वहीं, ओएनजीसी पर 1,82,900 रुपये का जुर्माना लगा है.

इसलिए लगा है जुर्माना
शेयर बाजार के नियमों के अनुसार कंपनियों के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या भी कार्यकारी निदेशकों के अनुपात में होनी चाहिए. इसके अलावा उनके बोर्ड में कम से कम एक महिला निदेशक होनी चाहिए. जानकारी के अनुसार ओएनजीसी के बोर्ड में एक स्वतंत्र निदेशक न होने के कारण जुर्माना लगाया गया है. इसी तरह दूसरी कंपनियों पर भी जुर्माना लगाया गया है. 

कंपनियों ने दिया ये जवाब
जानकारी के अनुसार आईओसी कंपनी ने शेयर बाजार को यह जवाब दिया है कि निदेशकों (स्वतंत्र निदेशकों सहित) की नियुक्त करने का अधिकार भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पास है. ऐसे में निदेशक मंडल में महिला निदेशक या स्वतंत्र निदेशक की नियुक्ति सरकार को करनी होती है. वह इस चूक के लिए जिम्मेदार नहीं है. वहीं, दूसरी कंपनियों ने भी यही जवब देकर जुर्माना वापस लेने की अपील की है.

इसे भी पढ़ें-SBI क्रेडिट कार्ड यूजर्स जल्द उठा लें रिवॉर्ड्स का लाभ, नहीं तो हो जाएगा नुकसान

 


Rushil Décor ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, इस अनुपात में किया जाएगा स्टॉक विभाजन

यह Rushil Decor के इतिहास में पहला और एकमात्र स्टॉक विभाजन है. कंपनी ने पहले केवल शेयरधारकों को ₹0.5 प्रति शेयर से अधिक लाभांश का भुगतान नहीं किया है.

Last Modified:
Monday, 27 May, 2024
BWHindia

स्मॉलकैप कंपनी रुशिल डेकोर (Rushil Decor Ltd) ने इक्विटी शेयरों के सब-डिवीजन की घोषणा की है. कंपनी ने एक्सचेंज फाइलिंग के माध्यम से इसकी घोषणा की है. कंपनी के बयान के अनुसार, कंपनी द्वारा आयोजित बैठक में बोर्ड ने 10:1 के अनुपात में विभाजन के प्रस्ताव पर विचार किया और उसे मंजूरी दे दी. इसका मतलब है कि 10 रुपये के अंकित मूल्य वाले प्रत्येक इक्विटी शेयर को 10 इक्विटी शेयरों में विभाजित किया जाएगा. एक बार विभाजन प्रभावी हो जाने पर, रुशिल डेकोर के प्रत्येक शेयर का नया अंकित मूल्य 1 रुपये होगा.

कंपनी शेयर होल्डर की लेगी मंजूरी

कंपनी पोस्टल बैलेट के माध्यम से स्टॉक स्प्लिट के लिए अपने शेयरधारकों की स्वीकृति लेगी, जिसके बाद, वह इसके लिए रिकॉर्ड तिथि निर्धारित करेगी. यह पहला स्टॉक विभाजन है और रुशिल डेकोर के इतिहास में एकमात्र है. कंपनी ने पहले केवल शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान किया है जो 0.5 रुपये प्रति शेयर से अधिक नहीं रहा है. आम तौर पर, किसी कंपनी द्वारा अपने बकाया शेयरों को बढ़ाने के लिए स्टॉक स्प्लिट पर विचार किया जाता है, और अपने शेयरधारकों के लिए स्टॉक को अधिक किफायती बनाकर ट्रेडिंग लिक्विडिटी में भी सुधार किया जाता है.

कमाई के लिए हो जाइए तैयार, इस हफ्ते बाजार में दस्तक देने वाले हैं ये 5 IPO

स्टॉक होंगे स्प्लिट

रशिल डेकोर लिमिटेड अब अपने शेयरों को 10 रुपये फेस वैल्यू की जगह 1 रुपये फेस वैल्यू के 10 शेयरों में बांटने जा रही है. इसके साथ ही 24 मई को बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की बैठक में रशिल डेकोर लिमिटेड ने प्रेफरेंशियल बेसिस पर जारी किए गए वारंट को इक्विटी शेयर में कन्वर्ट करने की मंजूरी दे दी है. रशिल डेकोर लिमिटेड के बोर्ड ने शेयर बाजार को जानकारी दी है कि 10 रुपये फेस वैल्यू वाले 65,000 इक्विटी शेयर इतने ही कन्वर्टिबल वारंट के बदले नॉन प्रमोटर कैटेगरी के निवेशकों को आवंटित किए जा रहे हैं.

स्टॉक स्प्लिट का मतलब

किसी भी शेयर को 10 हिस्से में स्प्लिट करने का मतलब यह है कि ₹10 फेस वैल्यू वाले शेयर ₹1 फेस वैल्यू के 10 शेयरों में बदल जाएंगे. इससे शेयर बाजार में कंपनी के शेयरों में ट्रेडिंग में आसानी होगी और उसमें तरलता बढ़ेगी. स्टॉक स्प्लिट के रिकॉर्ड डेट पर शेयर का भाव भी 10 हिस्से में बंट जाएगा. अगर रशिल डेकोर के शेयर स्टॉक स्प्लिट रिकॉर्ड डेट के दिन ₹300 के भाव पर रहते हैं तो यह एक अनुपात 10 के अनुपात में स्प्लिट होने के बाद ₹30 के भाव पर आ जाएंगे.

65,000 वारंट कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित

दिसंबर 2023 में कंपनी ने 297 रुपये प्रति वारंट के इश्यू प्राइस के आधार पर 38 आवंटियों को 41.3 लाख कन्वर्टिबल वारंट आवंटित किए थे. 9 मई को, कंपनी ने वारंट के रूपांतरण पर 5 आवंटियों को 1.9 लाख इक्विटी शेयर आवंटित किए थे. दो और आवंटियों ने वारंट की सदस्यता के लिए कुल राशि का भुगतान किया है, जिसके परिणामस्वरूप अन्य 65,000 वारंट कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित हो गए हैं. दो आवंटियों में से संगीता वेंकटरमन को 30,000 शेयर जारी किए गए हैं, जबकि गौरव वर्मा को शेष 35,000 शेयर जारी किए गए हैं. रुशिल डेकोर बिल्डिंग उत्पादों का निर्माता है. यह पार्टिकल बोर्ड, मीडियम डेंसिटी फाइबरबोर्ड और डेकोरेटिव हाई प्रेशर लेमिनेट शीट का उत्पादन करता है.